Thursday, April 17, 2025
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उत्तराखंड के लोग अचानक कहाँ गायब हो रहें हैं ?

हमारा उत्तराखंड एक बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है , इस समय किसी के भाई, माता ,बहन या उनके परिवार का कोई सदस्य लापता हो जा रहा है! पिछले कुछ समय से देख रहा हूं कि दिन पर दिन ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं ।बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक कोई भी लापता हो रहा है ।लापता होने की इतनी घटनाएं देखता हूं जिसकी कोई कल्पना नहीं .. और कितने लोगों के अपने लोग मृत मिल रहे हैं।

हमारा पहाड़ वर्षों से शांत रहा है और अब कुछ पहाड़ को अशांत कर रहे हैं।

समस्या यह है कि हमारे पहाड़ के बच्चे शहर जाते हैं पढ़ाई के लिए, नौकरी के लिए और वह कभी लौट के नहीं आते.. यहां जब हम सुनते हैं तो  हमारे दिल के टुकड़े हो जाते हैं, हमारे पहाड़ को किसी की नजर लग गई है।

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अगर हमारे पहाड़ में 100 लोग लापता हो रहे हैं तो उसमें से 10 लोग प्यार मोहब्बत के कारण भाग जाते हैं, 10 लोग घर में क्लेश लड़ाई झगड़े का कारण भाग जाते हैं और 80 लोग क्यों लापता हो रहे हैं इसका जवाब ना मेरे पास है ना ही आपके पास होगा और इसका जवाब खोजने कि हम लोग कोशिश भी नहीं कर रहे हैं यही दुख की बात है।

पहाड़ में बाहरी लोगों का आगमन बहुत ज्यादा बढ़ गया है शुरुआत में उनका कारोबार कुछ अलग होता है और बाद में उनका कारोबार बदल जा रहा है और यही इसका बड़ा कारण हो सकता है।

हमारा प्रशासन, हमारा सिस्टम हमारे नेता, हमारे राजा सब अपने-अपने में व्यस्त हैं हमारे पहाड़ से लोग त्रस्त हैं, पहाड़ के लोग पर्वत की तरह महान होते हैं लेकिन उनका दिल बर्फ की तरह पिघल जाता है वह किसी पर भी भरोसा करते हैं। और उसका खामियाजा हम सबको दिखाई दे रहा है। हम अपने पहाड़ के भाइयों को ,बहनों को, माताओं को और जो भी लापता हो रहे हैं उन्हें लापता होते हुए नहीं देख सकते। उन्हें बचाना है इसलिए सभी प्रशासन के साथी लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप इस विषय की पीड़ा को समझ खुद अपने आप महसूस कीजिए कि यह घटना आपके साथ हो रही हो तो आप क्या करोगे,  इसलिए हम इस समस्या की जड़ तक पहुंच सकते हैं अगर हम कोशिश करेगें तो एक समाधान मिल जाएगा लेकिन हर बार समाधान नहीं मिलेगा , इसलिए यह उत्तराखंड के लिए दाग है इस विनाश रूपी पेड़ को ही जला देना है, इसलिए पहाड़ में भू कानून भी लागू करना है। हमारा छोटा भाई अगर कोई शहर भी जाता है उसे फिर याद दिलाना पड़ेगा कि जिस पगडंडी से आप शहर जा रहे हो इसी रास्ते से आपको वापस भी आना है क्योंकि आपके माता-पिता की नजर लगातार उस छोटी सी पगडंडी पर बनी रहती है कि उसका बेटा कल पढ़ने के बाद वापस आएगा . उसी रास्ते को उनकी आंखें देखती रहती हैं उनकी आंखें कभी भी देखते-देखते थकती भी नहीं हैं इसलिए माता-पिता का प्रेम दुनिया का सबसे बड़ा प्रेम है और कुछ लोग आजकल 10 मिनट का प्रेम जाल दिखाकर और आपको बड़े-बड़े सपने दिखा कर अपने साथ ले जाते हैं और फिर आप से ना जाने क्या घिनौने काम करवाते हैं।

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पहाड़ों में कितने लोग लापता हो रहे हैं उसमें से पुलिस प्रशासन के पास शिकायत भी बहुत कम लोग करते हैं क्योंकि लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन भी अच्छे तरीके से कार्य नहीं करता है लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं हमें इस तरह की घटनाओं को तुरंत पुलिस प्रशासन को बताना चाहिए ताकि वह खोजबीन करें। अगर कोई नखरे दिखाए तो जिला अधिकारी से अवश्य संपर्क करें क्योंकि यह खतरा बहुत बड़ा है। अगर हम आज इस पर आवाज नहीं उठाते हैं तो कल बहुत बुरा देखने को मिलेगा। आज आपके साथ तो कल किसी और साथ भी हो सकता है इसीलिए आप अपने आप को जागरूक करें सावधान रहें समय बहुत खराब है।

लेखक  – दीपक जोशी भीमताल 

लेखक के बारे में  -दीपक जोशी जी उत्तराखंड भीमताल के मूल निवासी हैं। एक निजी कंपनी में नौकरी के साथ साथ, जोशी जी अपने यूट्यूब समाचार चैनल डिजिटल वाणी से और सोमेश्वर घाटी फेसबुक पेज में एडमिन के रूप में उत्तराखंड  की जनकल्याणकारी विषयों पर अपने विचार रखते हैं। तथा प्रमुख जनसमस्याओं का निवारण के लिए अग्रणीय रूप में तत्पर रहते हैं।

दीपक जोशी जी के चैनल डिजिटल वाणी से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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