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परिचय:
“होठों में मुरुली” एक प्रसिद्ध कुमाऊंनी भजन है जिसे कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की ने लिखा और गाया है। इस भजन में भगवान श्री कृष्ण की दिव्य सुंदरता, मुरली (बांसुरी) की धुन और उनके अद्भुत प्रेम का सजीव चित्रण किया गया है। कुमाऊंनी भजन के रूप में प्रस्तुत किया गया यह गीत न केवल कृष्ण भक्ति का प्रतीक है, बल्कि कुमाऊं के लोक संगीत का भी एक अद्भुत उदाहरण है। यह भजन ( hontho me muruli ) उत्तराखंड में जन्माष्टमी पर खूब पसंद किया जाता है।
स्वर्गीय पप्पू कार्की जी की आवाज़ और उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया यह भजन कुमाऊं के ग्रामीण जीवन, संस्कृति और कृष्ण भक्ति को दर्शाता है। इस भजन का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण के रूप, उनके मुरली और उनके प्रेममयी आकर्षण को दर्शाना है।
“होठों में मुरुली” भजन के बोल ( hontho me muruli lyrics )
जय हो कृष्णा, तेरी जय हो कृष्णा , ही त्रिपुरारी तेरी जय हो कृष्णा
होठों में मुरुली, कमर में छौ रूमाल ।
के भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल।।– 2
क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल ।
क्या भलो छाजी रो मैया तेरो नंदलाल ।।
कोरस ……
धेनू चरैया, रास रचैया, ग्वाल – बालों को संग मुरूली बजईया..
मुरुली की धुन में मस्त छन ग्वाल –बाल ।
क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल
होठों में मुरुली, कमर में छौ रूमाल ।
के भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल।।
कोरस … जय हो कृष्णा, तेरी जय हो कृष्णा , ही त्रिपुरारी तेरी जय हो कृष्णा
नंद को लाल , यशोदा गोपाल , अत्याचारी मामा कंस को काल ।– 2
पूतना वध करि, मारयो शीशपाल ….
क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल ।
होठों में मुरुली, कमर में छौ रूमाल ।
के भलो मानी रो मैया तेरो नंदलाल।।
कोरस ….
कानो में कुंडल, ख्वार मोर पंख…
राधा विराजी रूछी हमेशा संग – 2
जय हो कन्हैया तेरी , जय हो गोपाल ।
क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल ।
होठों में मुरुली, कमर में छौ रूमाल ।
के भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल।।
जय हो कृष्णा, तेरी जय हो कृष्णा , ही त्रिपुरारी तेरी जय हो कृष्णा
तीनों लोको में , कान्हा तेरी जय जयकार..
दिन दुखियों का तुम छा पालन हार।।
गरीब सुदामा कैं करछो माला माल।
क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल ।
होठों में मुरुली……
भजन का अर्थ :
यह भजन भगवान कृष्ण के रूप, उनकी मुरली और उनके संगीत के माध्यम से उनकी दिव्यता को प्रस्तुत करता है। “होठों में मुरुली, कमर में छौ रूमाल” का अर्थ है कि भगवान कृष्ण मुरली (बांसुरी) को अपने होठों में दबाए हुए हैं और उनकी कमर में एक छोटा सा रूमाल बांध रखा है, जो उनके रूप को और भी आकर्षक बनाता है।
“क्या भलो लागी रो मैया तेरो नंदलाल” का मतलब है “मैया, तेरा नंदलाल कितना प्यारा और सुंदर है।” यह भगवान कृष्ण के प्रति माता यशोदा की श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। इस गीत में कृष्ण की नटखट और लीलाओं का जिक्र करते हुए उन्हें प्रेम और भक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कृष्ण के अद्वितीय कार्यों का वर्णन :
भजन में भगवान कृष्ण के प्रमुख कार्यों का भी उल्लेख किया गया है:
1. धेनू चरैया और रास रचैया – कृष्ण अपनी मुरली के साथ ग्वाल-बालों के संग रास रचाते हैं, जो उनकी प्रेम लीला का प्रतीक है।
2. कंस का वध – कृष्ण का कंस के ऊपर विजय प्राप्त करना और उसे हराना उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था।
3. पूतना का वध – कृष्ण ने बचपन में ही राक्षसी पूतना का वध किया, जो उन्हें मारने के लिए आई थी।
सारांश:
“होठों में मुरुली” कुमाऊंनी भजन भगवान कृष्ण की भक्ति और उनके अद्भुत कार्यों का एक शानदार चित्रण है। स्वर्गीय पप्पू कार्की द्वारा रचित और गाया गया यह भजन कुमाऊं की लोक-संस्कृति और कृष्ण भक्ति को एक साथ प्रस्तुत करता है। इस भजन को सुनकर भक्तों को कृष्ण के प्रेम, रास, मुरली और विजय के बारे में गहरी समझ मिलती है।
“होठों में मुरुली” गीत कहाँ सुन सकते हैं ?
यह गीत विभिन्न संगीत प्लेटफार्मों जैसे YouTube, Spotify, और अन्य भक्तिमूलक वेबसाइट्स पर उपलब्ध है। यहाँ हम यूट्यूब पर उपलब्ध पहाड़ी कृष्ण भजन ,होठों में मुरली कमर में छू रुमाल का वीडियो लिंक दे रहे हैं ,यहाँ आप इस भजन का आनंद ले सकते हैं।