उत्तरकाशी, 10 अगस्त 2025: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में हाल ही में आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन विभाग, पुलिस वायरलैस सहित सभी प्रमुख एजेंसियां मौके पर जुटी हुई हैं। जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक लगातार घटनास्थल पर रहकर रेस्क्यू अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
एनडीआरएफ कंट्रोल रूम के साथ धराली में इंसीडेंट कमांड पोस्ट स्थापित कर दी गई है। इंसीडेंट कमांडर ने प्रभावित क्षेत्र को अलग-अलग सेक्टरों में बांट दिया है—सेक्टर ‘ए’ की जिम्मेदारी एनडीआरएफ, सेक्टर ‘बी’ की सेना, सेक्टर ‘सी’ की एसडीआरएफ, सेक्टर ‘डी’ की आईटीबीपी, जबकि रोड सेक्टर की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी, बीआरओ और बीजीबी रुड़की को सौंपी गई है। सभी सेक्टर कमांडरों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय के साथ एकीकृत खोज एवं बचाव योजना पर कार्य किया जा रहा है।
अभियान में 5 जेसीबी, 3 एक्सकैवेटर, 2 डोजर और 10 टिप्पर सहित भारी मशीनरी लगाई गई है। बिजली आपूर्ति के लिए 1 जनरेटर उपलब्ध है। एनडीआरएफ की टीम विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, 4 लाइव डिटेक्टर और एक्सो थर्मल कटिंग डिवाइस जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है।
राहत सामग्री भी बड़े पैमाने पर पहुंचाई जा रही है—सोमवार सुबह 635 पैकेट सूखा राशन भेजा गया, जबकि 7200 लीटर डीजल और पेट्रोल हेलीकॉप्टर के माध्यम से जौलीग्रांट से पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा 150 स्लीपिंग बैग और 50 टेंट भी भेजे गए हैं। 10 अगस्त की शाम 4 बजे तक 7,667 रेडी-टू-ईट भोजन पैकेट हर्षिल पहुंचाए जा चुके हैं।
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सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि हर्षिल में एयरटेल, जियो और बीएसएनएल की मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल हो चुकी है। माइक्रो हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के तहत विद्युत उत्पादन पुनः शुरू हो गया है और हर्षिल/धराली में बिजली आपूर्ति सामान्य कर दी गई है।
मौके पर 10 केनाइन डॉग की सेवाएं ली जा रही हैं, साथ ही एनडीआरएफ के 6 और एसडीआरएफ के 4 ड्रोन से लगातार निगरानी की जा रही है। सेना के 2 GPR (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार) से भी खोज कार्य चल रहा है। एनजीआरआई के 5 इंजीनियर इन उपकरणों के साथ कार्यरत हैं।
भागीरथी नदी में रुके जल प्रवाह से बनी झील की निकासी के लिए यूजेवीएनएल और सिंचाई विभाग की टीम को हर्षिल भेजा गया है। आपदा के कारणों और रोकथाम के उपायों के लिए यूएलएमएमसी, वाडिया रुड़की और जीएसआई के वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम स्थलीय निरीक्षण करेगी।
वहीं, लिंचागाड़ में वाशआउट हुए पुल के बहाल होने से आवागमन फिर से शुरू हो गया है। सोनगाड़ क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी का कार्य भी तेजी से प्रगति पर है।
धराली में राहत एवं बचाव दलों की यह सतत और संगठित कोशिश प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
