अल्मोड़ा: उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम कसने के उद्देश्य से परिवहन विभाग ने एक अनूठी पहल शुरू की है। अब सरकारी स्कूलों में ‘रोड सेफ्टी कॉर्नर’ स्थापित किए जाएंगे, जहाँ बच्चे खेल-खेल में सड़क सुरक्षा के नियम सीखेंगे। इस कदम से न केवल विद्यार्थियों में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि वे अपने अभिभावकों और आस-पास के लोगों को भी यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर पाएंगे।
पहले चरण में अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के सरकारी स्कूलों में यह योजना लागू की जाएगी। अल्मोड़ा में इसकी शुरुआत बतौर ट्रायल चार प्राथमिक विद्यालयों से हो चुकी है, जिनमें प्राथमिक विद्यालय स्यालीधार, प्राथमिक विद्यालय फलसीमा, प्राथमिक विद्यालय कठपुड़िया और प्राथमिक विद्यालय द्वारसों शामिल हैं।
बचपन से ही नियमों की समझ
परिवहन विभाग का मानना है कि बचपन में सीखी गई बातें बेहतर समझ विकसित करती हैं। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए, रोड सेफ्टी कॉर्नर के माध्यम से विद्यार्थियों को रचनात्मक और संवादात्मक तरीकों से यातायात नियमों की जानकारी दी जाएगी। इन कॉर्नरों में सड़क सुरक्षा से जुड़ी रचनात्मक गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी।
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स्कूलों की दीवारों पर पेंटिंग के ज़रिए महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदर्शित की जाएंगी, जिनमें:
- गुड समैरिटन कानून: दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने वालों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने वाले नियम।
- हिट एंड रन मामलों की जागरूकता: ऐसे मामलों में क्या करें और क्या नहीं, इसकी जानकारी।
- सड़क पर चलने के 10 स्वर्णिम नियम: पैदल चलने वालों और वाहन चालकों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश।
- रोड साइन: विभिन्न यातायात चिह्नों का अर्थ और उनका महत्व।
- सुरक्षित चलने के तौर-तरीके: सुरक्षित ड्राइविंग और पैदल चलने के उपाय।
इस पहल से बच्चों को कम उम्र से ही यातायात नियमों का गहरा ज्ञान होगा, जिससे भविष्य में सड़क हादसों में कमी आने की उम्मीद है। यह न केवल बच्चों को ज़िम्मेदार नागरिक बनाएगा, बल्कि वे अपने घरों और समुदायों में भी सड़क सुरक्षा के दूत बनेंगे।
