Harela Festival 2025: उत्तराखंड का प्रमुख लोक पर्व हरेला आज पूरे राज्य में हर्षोल्लास और पर्यावरण के प्रति समर्पण के साथ मनाया गया। इस अवसर पर “एक पेड़ माँ के नाम” और “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम के तहत सरकार, स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों ने मिलकर 5 लाख से अधिक पौधे रोपने का ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल किया। गढ़वाल मंडल में 3 लाख और कुमाऊँ मंडल में 2 लाख पौधों का रोपण इस अभियान का हिस्सा रहा। यह पर्व न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बना, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूती प्रदान की।
मुख्यमंत्री ने दिया हरियाली का संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज में रुद्राक्ष का पौधा रोपकर इस महाअभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, “हरेला पर्व प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता और संरक्षण का प्रतीक है। यह अभियान उत्तराखंड को हरा-भरा बनाने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करता है।” इस अवसर पर स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक पौधारोपण में हिस्सा लिया।

विभागों और संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी
वन विभाग इस अभियान का मुख्य संचालक रहा। पूरे राज्य में फलदार, छायादार और जल संरक्षण में उपयोगी चौड़ी पत्ती वाले पौधों की नर्सरियाँ तैयार की गईं। चमोली में राजकीय पॉलिटेक्निक रौली ग्वाड़ में 1.30 लाख पौधों का लक्ष्य रखा गया, जिसमें जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। हरिद्वार के बैरागी कैंप में डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल और एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने पौधे रोपे। रुद्रप्रयाग में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने ग्राम पंचायत फलई में रुद्राक्ष का पौधा रोपकर 1,08,222 पौधों के लक्ष्य की शुरुआत की।उद्यान विभाग ने 15 लाख फलदार पौधों (जैसे आम, लीची) के रोपण का लक्ष्य रखा, जिनकी नर्सरियाँ चंपावत, पिथौरागढ़ और देहरादून को आपूर्ति की गईं। नगर निगम, देहरादून ने मियावाकी पद्धति से डांडा लखौंड, सहस्रधारा रोड और कारगी स्टेशन में 1 लाख पौधे रोपने की योजना बनाई।
स्कूलों में पर्यावरण जागरूकता
शिक्षा विभाग ने स्कूलों को पौधारोपण का केंद्र बनाया। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को 5 और हाई स्कूल/इंटरमीडिएट कॉलेज को 10 पौधे रोपने का निर्देश दिया गया। देहरादून के पब्लिक इंटर कॉलेज, डोईवाला, और महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में छात्रों ने वन विभाग के साथ मिलकर पौधे रोपे। ऋषिकेश के एम्स परिसर में जागरूकता सत्रों के साथ पौधारोपण किया गया। रुद्रप्रयाग में ग्राम पंचायत फलई में स्कूली बच्चों ने उत्साह दिखाया।

सामाजिक संगठनों और समुदायों का योगदान
सामाजिक संगठनों ने भी इस अभियान को जनआंदोलन बनाया। कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद ने विलासपुर कांडली और नंदा देवी एनक्लेव में पौधे रोपे। अमरभारती जाग्रत जन संस्था ने 1 लाख पौधों का संकल्प लिया। ऋषिकेश में सामाजिक कार्यकर्ता पम्मी राज ने लच्छीवाला वन रेंज में पौधारोपण किया। कांग्रेस भवन, देहरादून में कन्या पूजन के साथ पौधारोपण हुआ। स्थानीय समुदायों ने भी मियांवाला, रिस्पना-बिंदाल नदी किनारे और गंगोलीहाट में सक्रिय भागीदारी की।
हरेला का सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व
हरेला पर्व सावन मास के आगमन और अच्छी फसल की कामना का प्रतीक है। लोग हरेला के तिनके कान के पीछे सजाते हैं और लोकगीत गाते हैं। इस वर्ष 50% फलदार और 50% छायादार पौधों का रोपण किया गया, जिनके रखरखाव की जिम्मेदारी वन पंचायतों, महिला/युवा मंगल दलों और स्थानीय समुदायों को सौंपी गई।
पौधारोपण के प्रमुख स्थान रहे: देहरादून (गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज, डांडा लखौंड), हरिद्वार (बैरागी कैंप), चमोली (रौली ग्वाड़), और रुद्रप्रयाग (फलई)।
पर्यावरण के प्रति संकल्प
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हरेला पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने की प्रेरणा देता है। यह अभियान उत्तराखंड को हरियाली और समृद्धि की ओर ले जाएगा।” यह पर्व न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर उजागर करता है।
यह अभियान उत्तराखंड के लिए एक हरे-भरे भविष्य की नींव रखता है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी इसे और सशक्त बनाएगी।
