Thursday, December 26, 2024
Homeसंस्कृति" पहाड़ के दास " पहाड़ के लोक देवताओं के गुरु के...

” पहाड़ के दास ” पहाड़ के लोक देवताओं के गुरु के रूप में मान्यता प्राप्त विशिष्ट व्यक्तित्व।

पहाड़ के दास :

वैसे तो दास शब्द का सामान्य अर्थ है ‘अधीनस्थ सेवक’, या गुलाम जिसके ‘क्रीतदास’, ‘ऋणदास’ आदि कई रूप होते हैं, किन्तु उत्तराखंड  की देववाद की शब्दावली में इसका अर्थ होता है दलित वर्गीय वह व्यक्ति जो ढोल आदि लोकवाद्यों के साथ लोकदेवताओं के चरित्रगान के माध्यम से उनके धामियों,पश्वाओं,डंगरियों में उनका अवतरण कराता है। पहाड़ो के लोकदेवता उन्हें गुरु के रूप में संबोधित करते हैं। और उनके आदेशों का पालन करते हैं। उनके पास पहाड़ के देवताओं को बुलाने से लेकर उनको नियंत्रित करने और उनसे सवाल जवाब करने और उन्हें वापस भेजने की कला भी आती है।

" पहाड़ के दास " पहाड़ के लोक देवताओं के गुरु के रूप में मान्यता प्राप्त विशिष्ट व्यक्तित्व।

amazon sale

ऐतिहासिक स्तर पर पहाड़ के दास लोग अपने को अपने किसी पूर्वज रैदास से जोड़ते हैं। इसके अतिरिक्त जागर गाथाओं में अनेक प्रसिद्ध दासों के नामों के परिगणन में रैदास के अतिरिक्त अजयदास, विजयदास, बिणीदास, कालूदास, खैरोंदास, धरमदास आदि के नामों का उल्लेख किया जाता है। कुछ पहाड़ के दास अपने इन पूर्वजों को कत्यूरियों की चारण परम्परा से भी जोड़ते हैं, क्योंकि कत्यूरी वंशावली में इन्हें युद्ध में जाते समय बिजैसार ढोल तथा नगाड़े बजाने वाले तथा अनेक तांत्रिक विद्याओं के जानने वाला भी कहा गया है।

जैसे – बड़ी जिया का गुरु रैदास, खैरीदास छीं। बंगाली चेटू बगल दबूनी। चौबाटा की धूल, बोकसाड़ी विद्या, तामासिरी रौटी चलूंनी। लुवा बिजैसार चलूनी । भेरी की धधकारो चलूंनी।

Best Taxi Services in haldwani

डॉक्टर प्रयाग जोशी जी के अनुसार साम्प्रदायिक स्तर पर इन्हे कबीर पंथ के निर्गुणी सन्तों के पूज्य देव निरंकार का अनुयायी माना जाता है।

नोट – इस पोस्ट का संदर्भ उत्तराखंड ज्ञानकोष नमक पुस्तक से लिया है।

और पढ़े _

मलयनाथ स्वामी मंदिर , कहते हैं इस मंदिर यहाँ ब्राह्मणों का प्रवेश वर्जित है।

सीतावनी रामनगर का पौराणिक इतिहास जुड़ा है माँ सीता और लव कुश से।

घणेली जागर , घड़ेली जागर ,पहाड़ में गढ़देवी ,परियों और भूत प्रेत ,मसाण पूजा की एक विधा।

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments