Wednesday, December 25, 2024
Homeमंदिरवृद्ध जागेश्वर - जहाँ विष्णु रूप में पूजे जाते हैं भगवान् शिव।

वृद्ध जागेश्वर – जहाँ विष्णु रूप में पूजे जाते हैं भगवान् शिव।

वृद्ध जागेश्वर मंदिर –

वृद्ध जागेश्वर जागेश्वरधाम से 7 किलोमीटर ऊपर दक्षिण-पश्चिम में पैदल मार्ग एक पहाड़ी पर वृद्ध जागेश्वर (शिव) का मूल स्थान है। जागेश्वर की पवित्र नदी जटागंगा का उद्गम स्थल भी यहीं है। यहां से हिमालय का भव्य दृश्य दृष्टिगोचर होता है। शिखर पर स्थित इस देवालय के 1 किमी. पूर्व दण्डेश्वर महादेव का शिखर शैली का देवालय भी स्थित है। इसके विषय में एक जनश्रुति है कि एक बार जब एक चन्द्रवंशी एक युद्ध के लिए जा रहे थे तो उन्हें यहां पर रात हो गयी और उन्होंने यहीं पर अपना डेरा डाल दिया।

जब उनके सैनिक विश्राम स्थल हेतु झाड़ियां साफ करने लगे तो उन्हें एक शिवलिंग मिला। राजा ने उसे भगवान का स्वरूप मानकर उसकी पूजा अर्चना की और मनौती मांगी कि यदि मैं युद्ध में विजयी हुआ तो यहां पर मंदिर का निर्माण कराऊंगा। भगवान् की कृपा से वह विजयी हुआ और उसने इस मंदिर का निर्माण कराया। स्थानीय लोगों की इसके प्रति बड़ी आस्था है। उनकी मान्यता है कि यहां पर अखंड ज्योति जलाने से संतान लाभ होता है। इस ज्योति के विषय में यह भी मान्यता है कि एकटक दृष्टि से दीपक की लौ की ओर देखते रहने से यदि वह रक्तवर्णी दिखाई दे ओर समरूप में जलती रहे तो मनोकामना पूर्ण अवश्य होती है।

amazon sale

वृद्ध जागेश्वर

भगवान् विष्णु के रूप में होती है शिव की पूजा –

इसके सम्बन्ध में विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि यहां पर भगवान् शिव के  शिवलिंग की पूजा शिव के अनुरूप न होकर विष्णु के अनुरूप होती है, क्योंकि अन्य शिवालयों के समान इसे दाल-चावल का भोग न लगाकर वैष्णव देवालयों के समान मालपुओं का भोग लगाया जाता है। यहां के लोगों का कहना है कि यहां पर भगवान् शंकर ने शिव के रूप में दर्शन न देकर विष्णु के रूप में दर्शन दिये थे।

Best Taxi Services in haldwani

भगवान् जागनाथ के दर्शनों से पूर्व इसका दर्शन आवश्यक माना जाता है। इसके 1 किमी. नीचे कालीगांव के निकट एक चट्टान पर दो पदचिह्न बने हैं, जिन्हें भगवान् शंकर के पद चिह्न माना जाता है।कहा जाता है इस पहाड़ी पर चढ़ते हुए अब वे थक गये थे तो वे विश्राम के लिए कुछ देर यहां पर रुके थे।

वृद्ध जागेश्वर के बाद इन्हे भी पढ़े _

जागेश्वर धाम उत्तराखंड के पांचवा धाम का इतिहास और पौराणिक कथा।

झाकर सैम में स्वयं महादेव लोककल्याण के लिए आये सैम ज्यू के रूप में।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments