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उत्तराखंड गौरव सम्मान 2022 मिलेगा इन पांच महान विभूतियों को

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उत्तराखंड गौरव सम्मान

उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार 2022 की घोषणा कर दी है। सरकार ने पा अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन योगदान देने वाले पांच विभूतियों को पुरस्कार के लिए चुना है। इनमे से तीन विभूतियों को मरणोपरांत पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इस सम्मान के सम्बन्ध में शाशन ने आदेश जारी कर दिए हैं। इस शाशनादेश के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल, भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी जी को यह पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा स्व. जनरल बिपिन रावत, कवि, लेखक और गीतकार रहे स्व.गिरीश चंद्र तिवारी, साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में स्व. वीरेन डंगवाल को मरणोपरांत इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।

उत्तराखंड गौरव सम्मान

उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार, उत्तराखंड स्थापना दिवस 2021 से शुरू किये गए हैं। सम्मान उत्तराखंड के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक हैं। पिछले साल भी पांच नामो की घोषणा हुई थी। विगत वर्ष कार्यक्रम न हो पाने के कारण पिछले वर्ष के घोषित विभूतियों को भी इस साल ,उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया जायेगा। पिछले साल पुरस्कार लिए  इन नामों की घोषणा की गई थी – पर्यावरण के क्षेत्र में डॉ.अनिल जोशी, साहसिक खेल के क्षेत्र में, बछेंद्री पाल, संस्कृति के लिए लोकगायक  नरेंद्र सिंह नेगी और साहित्य के क्षेत्र में रस्किन बांड के नाम की घोषणा की गई थी। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को मरणोपरांत इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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