Thursday, April 17, 2025
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रोहित फाउंडेशन ने तृतीय वार्षिकोत्सव पर स्कूल को दिए कम्प्यूटर !

ग्रामीण बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए निरंतर प्रयासरत है रोहित फाउंडेशन।

आज दिनांक 4 नवंबर 2023 को राजकीय इंटर कालेज लोधियाखान विद्यालय में रोहित फाउंडेशन के तृतीय वार्षिकोत्सव के उपलक्ष में एक समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर क्षेत्र के विधायक श्री प्रमोद नैनवाल जी भी उपस्थित थे। रोहित फाउंडेशन के तृतीय वार्षिकोत्सव पर रा ई का लोधियाखान को दो कप्यूटर प्रदान किये गए।

रोहित

रोहित फाउंडेशन काफी समय से शिक्षा ,स्वास्थ ,कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में सुचारु रूप से कार्यरत है। यह संस्था ग्रामीण बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देना और उनके स्वर्णिम भविष्य के मार्ग में आने वाली बाधाओं को हल करने का कार्य करती है। ग्रामीण परिवेश के बच्चों की शिक्षा के लिए कई वर्षों से यह संस्था कार्यरत है।

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रोहित फाउंडेशन का तृतीय वार्षिकोतसव

इस समारोह में रोहित ग्रुप एवं कम्पनीज़ के ऑनर श्री पुष्कर सिंह नेगी, पंकज नेगी, प्रधानाचार्य श्री प्रवीण चंद्र तिवारी, समाजसेविका श्रीमती हेमा देवी व उनके साथ श्री हरीश सिंह बिष्ट ,पान सिंह बिष्ट, विजेंद्र बिष्ट, पप्पू , शशांक आर्य व तुलसा सिंह मौजूद थे।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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