Thursday, July 4, 2024
Homeमंदिरजब नौलिंग देवता ने साधा सनगाड़ के मसाण को।

जब नौलिंग देवता ने साधा सनगाड़ के मसाण को।

उत्तराखंड के बागेश्वर में जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सनगाड़ गावं में स्थित है नौलिंग देवता मंदिर। ये इस क्षेत्र के प्रसिद्ध लोकदेवता हैं। इनका देवालय अपनी भव्यता के कारण पुरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यहाँ नवरात्रियों में विशेष पूजा अर्चना होती है। यहाँ की धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि कोई संतान हीन महिला यहाँ 24 घंटे अखंड दीप के साथ खड़रात्रि जागरण करती है तो उसे नौलिंग देवता संतान सुख देते हैं।

नौलिंग देवता का जन्म –

नौलिंग देवता के जन्म के बारे में कहा जाता है कि ये श्री 10008 मूल नारायण भगवान् के पुत्र हैं। कहा जाता है कि मूल नारायण भगवान् और माता सरिंगा से बाज्येण देवता का जन्म हुवा था। उनके जन्म के पांचवे दिन जब वो स्नान  के लिए जलश्रोत के पास गई तो वहां उन्हें एक बालक मिला ,उन्होंने उसे बाज्येण समझकर जल्दी पीठ में रख लिया। बाद में घर जाकर देखा तो बाज्येण तो उनकी डलिया में बैठे थे। इसलिए उनका नाम नौलिंग पड़ा।

एक कहानी इस प्रकार कही जाती है कि माता सरिंगा बाज्येण देव को अपने साथ जलस्रोत पर ले जाती है। मूल नारायण भगवान् को लगता है क़ि उनके सुपुत्र कहीं खो गए हैं ,और वे अपनी सिद्धि से बाज्येन जैसा बालक प्रकट कर देते हैं। बाद में बाज्येण देव अपनी माता के साथ देख कर वे चौक जाते हैं। और सरिंगा एक और बालक देख चौक जाती है। दोनों के बड़े होने के बाद बड़े बेटे बाज्येण को भनार भेजा और छोटे बेटे को सनगाड़ भेजा।

नौलिंग देवता मंदिर सनगाड़

जब नौलिंग देवता ने साधा सनगाड़ के मसाण को –

Best Taxi Services in haldwani

इधर सनगाड़ गांव में सनगाड़िया मशाण ने आतंक मचाया हुवा था। सनगाड़िया मसाण नर बलि मांगता था। जब नौलिंग देवता वहां पहुंचे उनका और सनगाड़िया मसाण का भीषण युद्ध शुरू हो गया। अंत में नौलिंग देवता ने उस राक्षस का वध कर दिया और वध करके उसे पास के ताल में डाल दिया जिसे अब राक्षस ताल के नाम से जाना जाता है। कहते है मृत्यु से पहले नौलिंग देवता ने मशान को प्रत्येक वर्ष बकरी देने का वादा किया था। यह परम्परा प्रत्येक वर्ष निभाई जाती थी ,लेकिन अब माननीय हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में बलि प्रथा पर रोक लगा दी है।

इन्हे पढ़े _

श्री 1008 मूल नारायण देवता , कुमाऊं के कल्याणकारी देवता।

हमारे व्हाट्सअप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments