Sunday, April 13, 2025
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महालक्ष्मी किट योजना 2021 | मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना उत्तराखंड

शनिवार 9 अप्रैल 2021 को मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत जी ने उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय की माँ और पुत्री के लिए नई योजना महालक्ष्मी किट योजना का शुभारंभ किया। 22 अप्रैल 2021 को यह योजना अस्तित्व में आ गई। सबसे पहले 50 हजार लाभार्थियों को इसका लाभ मिलेगा।

क्या है महालक्ष्मी किट योजना –

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार , उत्तराखंड के किसी भी परिवार में यदि पुत्री का जन्म होता है , तो माता और पुत्री को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तराखंड सरकार के मंत्री की की तरफ से एक शुभकामना कार्ड प्राप्त होगा ।

घर मे बेटी के जन्म पर माँ और बेटी दोनो को एक एक किट मिलेगी। इस किट की कीमत लगभग 3500 रुपये होगी।

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महालक्ष्मी किट में क्या मिलेगा –

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार उत्तराखंड में हर घर मे पुत्री के जन्म पर सरकार की तरफ से 2 किट मिलेगी  जिसमे निम्न समान होगा।

माता का किट का सामान –

  • बादाम
  • छुआरा
  • साड़ी
  • सूट
  • स्कार्फ
  • बेडशीट
  • हैंडवाश
  • साबुन
  • मोजे
  • नेलकटर

पुत्री के लिए किट में समान

  • सूती कपड़े
  • तौलिया
  • कंबल
  • रबड़ शीट
  • तेल
  • साबुन

परिवार में 2 बेटियों तक महालक्ष्मी किट योजना का लाभ मिलेगा। किट के साथ टीकाकरण संबंधित संदेश भी मिलेगा। यह योजना आंगनबाड़ी केंद्रों से संचालित किया जाएगा।

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इस योजना का उद्देश्य –

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार , पूर्व में इस योजना का नाम मुख्यमंत्री सौभाग्यवती योजना किया था। मंत्री श्रीमती रेखा आर्य के अनुसार जब घर मे पुत्री आती है तो लोग कहते हैं लक्ष्मी आई है। इसलिए  इस योजना का नाम मुख्यमंत्री सौभाग्यवती योजना से बदल कर मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना रख दिया। इस योजना का उद्देश्य उत्तराखंड में लैंगिक अनुपात में सुधार लाना और मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाना ,एवं संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है।

इस योजना का उद्देश्य बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को आगे बढ़ाना है। तथा विभागीय मंत्री श्रीमती रेखा आर्य जी ने बताया कि,आर्थिक संसाधनों के आभाव में उत्तराखंड की महिलाएँ स्वयं का और अपने बच्चे का देखभाल ठीक से नही करती इसलिये उत्तराखंड की महिलाओं को इस कार्य हेतु आर्थिक मदद देने के लिए मुख्यमंत्री महालक्ष्मी कवच योजना मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना लायी गयी है।

प्राचीन रूढ़ि वादी विचारों की वजह से भी ,गांव में बेटियों का ध्यान नही रखा जाता, इस योजना का एक उद्देश्य जन जागरण कन्या संरक्षण भी है।

महालक्ष्मी किट योजना
मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना , सांकेतिक फ़ोटो
फ़ोटो साभार – गूगल

मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना में कैसे आवेदन करें-

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार , यह योजना आंगनबाड़ी केंद्रों से संचालित की जाएगी। प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में इसका निशुल्क फार्म होगा। लाभार्थी को आंगनबाड़ी में फार्म भरना होगा, उसके एक माह बाद मुख्यमंत्री महालक्ष्मी कवच योजना के तहत , माँ व पुत्री को महालक्ष्मी किट मिल जाएगी। आवेदन  होने पर इसे वेबपोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।

अस्तित्व में आई मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना –

9 अप्रेल 2021 को शुभारम्भ की गई, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना  22 अप्रैल 2021 से अस्तित्व में आ गई है। विभागीय मंत्री श्रीमती रेखा आर्य ने बताया कि पहले 50 हजार लाभार्थियों को मुख्यमंत्री महालक्ष्मी कवच | किट  दी जाएगी। इसके लिए आवेदन करने के लिए आंगनबाड़ी में पंजीकरण कराना पड़ेगा।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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