Friday, July 26, 2024
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उत्तराखंड में गुलदार को न्योता दे रहे हैं छोड़े हुवे लावारिस पशु।

आजकल उत्तराखंड में गुलदार की दहशत चारो ओर फैली हुई है। पहाड़ों से लेकर मैदानों तक गुलदार, तेंदुवे के आतंक की ख़बरें चर्चा का विषय बनी हुई है। पहाड़ो में आये दिन तेंदुवा या गुलदार के हमले से किसी न किसी को अपनी जान गवानी पड़ रही है। अब तो गुलदार आतंक राजधानी तक पहुंच गया है। अभी हाल ही में  राजधानी देहरादून के राजपुर क्षेत्र के कैनाल रोड में एक किशोर पर गुलदार ने हमला कर दिया था। वो तो उसके दोस्त अलर्ट थे उन्होंने उसे समय रहते बचा लिया।

लावारिस पशु दे रहें है उत्तराखंड में गुलदार को न्योता –

उत्तराखंड में गुलदार के बढ़ते आतंक के पीछे कई कारण हैं। लेकिन उन सब एक कारण आवासीय बस्तियों के आस पास लावारिस पशुओं का खुला घूमना भी है। पहाड़ों  में अधिकतम लोगो ने खेती करना छोड़ दिया है। और उसके साथ -साथ पशुपालन भी छोड़ दिया है। जिस कारण खेत बंजर हो रहे हैं ,और पशु चरने के लिए जंगल जाना छोड़ कर  बंजर खेतों में या घरों के आसपास घूम रहे हैं। लावारिस पशुओं का दिनरात मानवीय बस्तियों के आस -पास रहने के कारण गुलदार, तेंदुवे जैसे हिसंक पशु शिकार के लालच मानवीय बस्तियों की तरफ रुख कर रहें है। जिस कारण लावारिस पशुओं के साथ -साथ लोगों को भी गुलदार तेंदुवा जैसे जंगली जानवरों का शिकार बनना पड़ रहा है।

 गुलदार के आतंक से बचने के लिए विभाग की गाइड लाइन –

उत्तराखंड में गुलदार से बचने या उसका सामना करने के लिए उत्तराखंड वन विभाग अल्मोड़ा ने निम्न गाइड लाइन जारी की है –

गुलदार (LEOPARD)से प्रभावित क्षेत्रों में निवासरत जन मानस की सुरक्षा हेतु विशेष सुझाव – क्या करें:

  •  आवसीय परिसरों एवं गौशालाओं के चारों ओर यथासम्भव झाड़ियों, घास को साफ करवा दें।
  • आवासीय परिसरों एवं गौशालाओं के चारों ओर रात्रि में यथासम्भव रोशनी का प्रबन्ध कर दें।
  • गुलदार देखे जाने की स्थिति में घबराए नहीं और अफवाहों पर ध्यान ना दें।
  • पालतू पशुओं के वास स्थल के पास पर्याप्त रोशनी का प्रबन्ध करें तथा सुरक्षा बाड़ लगायें।
  • लगातार गुलदार के चहल कदम पर नजर रखें। गुलदार द्वारा घायल किये जाने पर तत्काल 108 को सूचित करें।
  • वन क्षेत्रों व गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में यथासंभव समूह में ही आवागमन करें।
  • शाम के समय अपने घर की लाइट खोल कर रखें।
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उत्तराखंड में गुलदार को न्योता दे रहे हैं छोड़े हुवे लावारिस पशु।
क्या ना करें:

  • सायं अथवा रात्रि के समय यथासम्भव अकेले न निकलें । अपरिहार्य कारणों से घर से निकलना हो तो उचित रोशनी का प्रबन्ध करें तथा समूह में ही बाहर निकलें।
  • सायं अथवा रात्रि के समय छोटे बच्चों को बिना पर्याप्त निगरानी के अकेले न छोड़े।
  • खाद्य पदार्थो व मृत पशुओं को खुले में न फेंकें।
  • पालतू पशुओं को खुला न छोड़े और न ही उन्हें खुले में बांधें।
  • रात्रि में आवासीय परिसर के समस्त आने-जाने के रास्तों को खुला ना छोड़े।
  • घर के आसपास कचरा एवं खाद्य पदार्थ ना फेंके इससे अवारा पशु आकर्षित होते हैं व उनके शिकार हेतु गुलदार की आवाजाही बढ़ जाती है।
  • चारापत्ती एवं घास के लिए महिलायें समूह में ही बाहर जायें एवं किसी भी दशा में छोटे बच्चों को चारापत्ती, घास इत्यादि लेने के लिए जंगल में ना भेजें।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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