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जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत | Jal Kaise Bharu Jamuna Gahri Lyrics

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जल कैसे भरु जमुना गहरी

जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत (Jal Kaise Bharu Jamuna Gahri ) एक प्रसिद्ध कुमाऊनी होली गीत ( Kumaoni Holi Song ) है। इसमें कुमाऊनी  तथा ब्रज भाषा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। यह होली अधिकतर कुमाऊनी महिला होली ( Kumaoni Mahila Holi ) और खड़ी होली ( Khadi Holi ) में गाई जाती है। यह गीत नायिका केंद्रित है, जिसमें प्रेम, लज्जा, और भावनात्मक अभिव्यक्ति का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है। यह होली कुमाऊँ के गाँवों में खूब प्रचलित है और लोग इसे बड़े शौक से गाते हैं। आइये इस प्रसिद्ध kumaoni Holi Geet Lyrics पढ़ते हैं –

कुमाऊनी होली के बारे वीडियो में देखें :

जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत (Jal Kaise Bharu Jamuna Gahri Holi Geet Lyrics) –

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी- 2
ठाड़ी भरू राजा राम जी देखे
हे ठाडी भरू राजा राम जी देखे
बैठी भरू भीजे चुनरी।

जल कैसे भरू जमुना गहरी

होली है …………!!

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
हे धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
धमकि चलु छलके गगरी।

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
गोदी पर बालक सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक सिर पर गागर
पर्वत से उतरी गोरी…

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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