जल कैसे भरु जमुना गहरी एक कुमाऊनी होली गीत है। इसमें कुमाऊनी तथा व्रज भाषा का मिश्रण है। यह होली अधिकतर कुमाउनी महिला होलियों और खड़ी होलियों में गाया जाता है। यह गीत नायिका केंद्रित है। जिसमे प्रेम लज्जा आदि भावों का मिश्रण है। यह होली कुमाऊं के गावों में खूब प्रचलित है। लोग बड़े शौक से इस होली का गायन करते हैं। आइये इस प्रसिद्ध होली गीत के लिरिक्स पढ़ते हैं –
Table of Contents
जल कैसे भरु जमुना गहरी होली गीत
जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी- 2
ठाड़ी भरू राजा राम जी देखे
हे ठाडी भरू राजा राम जी देखे
बैठी भरू भीजे चुनरी।
जल कैसे भरू जमुना गहरी
होली है !!
जल कैसे भारू जमुना गहरी-2
धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
हे धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
धमकि चलु छलके गगरी।
जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी-2
गोदी पर बालक सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक सिर पर गागर
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी-2
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