गोपेश्वर, 17 अक्टूबर 2025: उत्तराखंड के पवित्र चार धामों में से एक, चतुर्थ केदार के रूप में विख्यात श्री रुद्रनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस प्राचीन मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी शीतकालीन बंदी से पहले विशेष पूजा-अर्चना की गई। भगवान रुद्रनाथ के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु इस मौसम में दर्शन करने पहुंचे थे।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया
आज प्रातः काल में मंदिर के पुजारियों और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया संपन्न हुई। मंदिर समिति के अनुसार, कपाट बंद होने से पहले भगवान रुद्रनाथ की विशेष पूजा की गई और उन्हें शीतकाल के लिए विदाई दी गई। इसके बाद, भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह मूर्ति को शीतकालीन प्रवास के लिए गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर ले जाया गया। शीतकाल के दौरान भक्त गोपीनाथ मंदिर में ही भगवान रुद्रनाथ के दर्शन कर सकेंगे।
श्री रुद्रनाथ धाम का महत्व
श्री रुद्रनाथ धाम, पंच केदारों में चतुर्थ केदार के रूप में पूजनीय है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है। यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का अनुपम संगम है, जो हिमालय की गोद में बसा है। रुद्रनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जो उनकी आस्था और समर्पण को और भी प्रबल बनाती है।
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शीतकाल में दर्शन व्यवस्था
हर साल की तरह, शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ की पूजा गोपेश्वर के प्रसिद्ध गोपीनाथ मंदिर में होगी। मंदिर समिति ने बताया कि गोपीनाथ मंदिर में भक्तों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं ताकि वे सुगमता से दर्शन कर सकें। शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण रुद्रनाथ धाम के कपाट बंद किए जाते हैं और अगले वर्ष वैशाख माह में पुनः खोले जाएंगे।
कपाट बंद होने के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान रुद्रनाथ के प्रति अपनी गहरी आस्था व्यक्त की। एक श्रद्धालु, रमेश चंद्र ने कहा, “यहां आकर मन को अपार शांति मिलती है। हम हर साल दर्शन के लिए आते हैं और अब गोपीनाथ मंदिर में भगवान के दर्शन करेंगे।” मंदिर समिति ने सभी श्रद्धालुओं से शीतकाल में गोपीनाथ मंदिर में दर्शन करने का आग्रह किया है।
मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन ने अगले वर्ष की यात्रा के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कपाट खुलने की तिथि अगले वर्ष वैदिक पंचांग के अनुसार तय की जाएगी। तब तक श्रद्धालु गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना कर सकेंगे।
श्री रुद्रनाथ धाम की यह शीतकालीन बंदी उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है।