Boycott Turkey: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के प्रति तुर्की के विवादास्पद समर्थन और भारत विरोधी गतिविधियों में तुर्की निर्मित ड्रोन के इस्तेमाल की खबरों ने पूरे भारत में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इसके जवाब में, भारतीय व्यापारियों और नागरिकों ने “बॉयकॉट टर्की” का एक शक्तिशाली अभियान छेड़ दिया है, जो आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गया है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) जैसे शीर्ष व्यापारी संगठनों ने इस बहिष्कार अभियान का नेतृत्व करते हुए अपने सदस्यों से तुर्की के साथ सभी व्यापारिक संबंध तत्काल समाप्त करने का आग्रह किया है। CAIT के एक प्रवक्ता ने ज़ोर देकर कहा, “हमारा देश आतंकवाद से पीड़ित है, और हम किसी भी ऐसे राष्ट्र के साथ व्यापार नहीं कर सकते जो आतंकवादियों को पनाह देता है या उनका समर्थन करता है। यह बहिष्कार तुर्की को यह स्पष्ट संदेश देगा कि आतंकवाद का समर्थन करने की कीमत चुकानी पड़ेगी।”
इस आह्वान का तत्काल और व्यापक प्रभाव देखने को मिला है। देश भर के व्यापारियों ने तुर्की से आयात-निर्यात पर रोक लगानी शुरू कर दी है। खुदरा बाजारों में तुर्की निर्मित उत्पादों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है, क्योंकि जागरूक भारतीय उपभोक्ता अब उन उत्पादों को खरीदने से इनकार कर रहे हैं जिनका राजस्व अंततः आतंकवाद के समर्थकों तक पहुँच सकता है।
पर्यटन उद्योग भी इस बहिष्कार से अछूता नहीं है। प्रमुख ट्रैवल कंपनियों जैसे MakeMyTrip और EaseMyTrip ने तुर्की के लिए सभी प्रचार और पर्यटन पैकेजों को हटा दिया है। भारत से तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है, क्योंकि देशभक्त नागरिक अब ऐसे देशों की यात्रा करने से कतरा रहे हैं जो भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रुख अपनाते हैं। एक संभावित पर्यटक ने कहा, “मेरे देश की सुरक्षा और सम्मान मेरे लिए सर्वोपरि है। मैं ऐसे देश में छुट्टी मनाने नहीं जाऊंगा जो हमारे दुश्मनों का साथ देता है।”
शैक्षणिक संस्थानों ने भी इस राष्ट्रीय कर्तव्य में अपना योगदान दिया है। कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ अपने शैक्षिक और अनुसंधान समझौतों को रद्द कर दिया है। यह कदम शिक्षा जगत की आतंकवाद के खिलाफ अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह संदेश देता है कि भारतीय संस्थान ऐसे देशों के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं रखेंगे जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
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सरकार ने भी नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) द्वारा एक तुर्की एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करना, इस दिशा में एक मजबूत संकेत है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने और आतंकवाद के समर्थकों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “#boycotturkey” हैशटैग से गूंज रहे हैं, जहाँ लाखों भारतीय नागरिक सक्रिय रूप से इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं। आम लोगों से लेकर प्रभावशाली हस्तियों तक, सभी ने एकजुट होकर तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार करने और तुर्की की यात्रा न करने की अपील की है। यह अभूतपूर्व नागरिक प्रतिक्रिया दर्शाती है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर कितना संवेदनशील है और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
“Boycott Turkey” केवल एक आर्थिक अभियान नहीं है, यह भारत के लोगों का एक शक्तिशाली नैतिक और राजनीतिक वक्तव्य है। यह विश्व को यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत आतंकवाद और उसके समर्थकों के खिलाफ दृढ़ता से खड़ा है और अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। यह एकजुट प्रतिक्रिया दिखाती है कि जब राष्ट्रीय हित और सुरक्षा की बात आती है, तो पूरा भारत एक साथ खड़ा होता है और आतंकवाद का समर्थन करने वालों को अलग-थलग करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।