Friday, May 9, 2025
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भविष्य बद्री में धीरे -धीरे आकार ले रही भगवान् विष्णु की मूर्ति।

भगवान् विष्णु के उत्तराखंड में स्थित पंच बद्री देवालयों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर भविष्य बद्री मंदिर है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि कलयुग के अंत के समय जब भगवान बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जायेंगे तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा भविष्य बद्री के मंदिर में होगी।

भविष्य बद्री की स्थिति –

भविष्यबदरी का यह मंदिर गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद में जोशीमठ से 17 किमी पूर्व की ओर तपोवन के निकट ‘सुभाई’ ग्राम में ‘धौलीगंगा’ के तट पर समुद्रतल से 2,774 मी. की ऊंचाई पर चीड़ एवं देवदार की सघन वनी के मध्य स्थित है। इसमें काले शिलाखण्ड पर भगवान् विष्णु की 2 मी. की ऊंची आधीमूर्ति है जिसे मूर्तिशिल्प का उत्कृष्ट रूप माना जाता है। जनश्रुति के अनुसार भविष्य में प्राकृतिक कारणों से जब ‘पटमिला’ में नर-नारायण पर्वतों के आपस में मिल जाने से विष्णुप्रयाग से आगे बद्रीनाथधाम का मार्ग अवरुद्ध हो जायेगा तब इसी देवालय में विष्णु भगवान् की पूजा होगी।

कलयुग के अंत में इस मंदिर में पूजे जायेंगे भगवान् विष्णु –

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलयुग के अंत में जब जोशीमठ में भगवान नरसिंह की मूर्ति खंडित हो जाएगी और नर -नारायण पर्वत जिन्हे जय -विजय पर्वत भी कहा जाता है ,वे आपस में मिल जायेंगे। और बद्रीनाथ का मार्ग जाने का मार्ग अवरुद्ध हो जायेगा। तब भगवान् बद्रीनाथ  की पूजा भविष्य बद्री मंदिर में की जाएगी। यहाँ काले शिलाखंड में भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति धीरे धीरे आकार ले रही है। कलयुग के अंत तक ये मूर्ति पूर्ण हो जाएगी और मुख्य बद्रीनाथ का मार्ग अवरुद्ध हो जायेगा।

भविष्य बद्री

कुछ वर्षों में काफी बन गई भविष्य बद्री की मूर्ति –

भविष्य बद्री में नियमित दर्शनों के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं ने और भविष्य बद्री के पुजारियों ने यह पुष्टि की है कि पिछले कुछ समय में भगवान् भविष्य बद्री की मूर्ति काफी विकसित हो गई है। पुजारी बताते हैं कि अब इसमें चन्दन की माला अटकने लगी है। पूजा सामग्री मूर्ति पर रुकने लगी है। साल दर साल भगवान विष्णु का चतुर्भुज रूप काली शिला पर उभरने लगा है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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