Table of Contents
भद्राज मंदिर
उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर देहरादून , मसूरी में स्थित है। भद्राज मंदिर मसूरी से मात्र 15 किलोमीटर दूर दुधली भद्राज पहाड़ी पर स्थित है। समुद्र तल से इस मंदिर की उचाई लगभग 7500 फ़ीट है। यह मन्दिर धार्मिक आस्था के साथ ,साथ साहसिक पर्यटन के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर ट्रेकिंग के लिए बेस्ट है।
लोग यहाँ पैदल ट्रेकिंग काफी पसंद करते हैं। यह दून घाटी का प्रसिद्ध ट्रेकिंग क्षेत्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है। यहाँ भद्राज के रूप में बलराम जी की पूजा होती है।
मंदिर का इतिहास
भगवान भद्राज को पछवादून ,मसूरी ,और जौनसार क्षेत्र के पशुपालकों का देवता माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान बलराम, ऋषि वेश में इस क्षेत्र से निकल रहे थे , तब उस समय इस क्षेत्र में पशुओं की भयानक बीमारी फैली हुई थी। ऋषि मुनि को आपने क्षेत्र से निकलता देख, लोगो ने उन्हें रोक लिया और पशुओं को ठीक करने का निवेदन करने लगे। तब बलराम जी ने उनके पशुओं को ठीक कर दिया। लोगों ने उनकी जय जय कार की और यही रहने की विनती की तब बाबा ,कुछ समय उनके पास रुक गए। औऱ उनको आशीर्वाद दिया कि कलयुग में मैं यहाँ मंदिर में भद्राज देवता के नाम से रहूंगा।
एक अन्य लोक कथा के अनुसार , इस क्षेत्र में द्वापर युग मे एक राक्षस ने बहुत आतंक मचाया था। लोगो को बहुत परेशान करता था। पछवादून, जौनपुर और सिलगाव पट्टी के लोग चौमासे ( चतुर्मास, बरसात के समय ) अपने पशुओं को लेकर दुधली की पहाड़ी पर चले जाते थे। परन्तु उस पहाड़ी पर राक्षस उनके पशुओं को खा जाता था। और पशुपालकों को भी परेशान करता था।
उस समय यहाँ से भगवान बलराम हिमालय जा रहे थे, तो लोगो ने उनसे मदद मांगी, तो बलराम जी ने उस राक्षस का वध कर दिया। और लोगों को आश्वासन दिया कि वे सदा इस क्षेत्र की तथा यहाँ के पशुओं की रक्षा और ध्यान रखेंगे।कहते हैं, भगवान बलभद्र आज भी उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।
भद्राज़ मंदिर में शाम की आरती का मनमोहक दृश्य इस संशिप वीडियो के माध्यम से देखें :
इसे भी पढ़े – देहरादून में घूमने लायक बुद्धा टेंपल, बुद्ध मंदिर।
भद्राज मेला 2024
भद्राज मंदिर मसूरी में प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त से 17 अगस्त के आस पास विशाल मेले का आयोजन होता है। दूर दूर से भक्त यहां पैदल आते हैं। भगवान भद्राज को दूध ,दही, मक्खन, और रोट का भोग लगाया जाता है। और यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं ।
इसे भी पढ़े – फ्रॉग पॉइंट, गरम। पानी नैनीताल का प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट
जाने का सही समय
भद्राज मंदिर जाने का सही समय अप्रैल से शुरू होता है। गर्मियों में यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय है। इसके अलावा 15 अगस्त से 17 अगस्त तक प्रतिवर्ष यहाँ पारम्परिक मेला लगता है। उस समय भी हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। मगर बरसात में ऊँची पहाड़ियों पर जाना रिस्की हो सकता है। इसलिए भद्राज मंदिर जाने का सही समय, गर्मियों में या बरसात के बाद अक्टूबर या नवंबर होता है।
भद्राज मंदिर कैसे जाएं
भद्राज मंदिर जाने के लिए मसूरी से 10 से 15 किमी की दूरी तय करनी होती है। यह दूरी कार बाइक से या पैदल भी तय कर सकते हैं। भद्राज ट्रेक को यादगार और रोमांचक बनाने के लिए यह दूरी आप पैदल तय कर सकते हैं। यदि आपके पास समय है, तो एक दिन के इस ट्रैक को दो दिन में पूरा कर सकते हैं। पहले दिन दुधली गाँव पहुँच कर,वहा कैंपिंग का आनंद उठा, सकते हैं। प्रकृति की गोद मे बसा मसूरी का ये गाव अपने दूध दही के लिए प्रसिद्ध है।दूसरे दिन आप दुधली से आगे की यात्रा तय कर सकते हैं।
भद्राज मंदिर के लिए दूसरा रास्ता सहसपुर विकासनगर से जाता है। सहसपुर से मटोगी लांघा रोड तक गाड़ियां जाती हैं। वहाँ से लगभग 4 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। या विकासनगर कटा पत्थर 11 किमी तय करके मटोगी तक गाड़ी में वहाँ से आगे आपको पैदल। या आप पूरा भद्राज ट्रेक सहसपुर से पैदल तय कर सकते हैं। यह पैदल भी एक दिन में आसानी से तय हो जाता है। और देहरादून मसूरी आने के लिए, देश के सभी कोनो से, बस,ट्रेन और हवाई सेवा उपलब्ध है।
इन्हे भी पढ़े _
माँ बाल सुंदरी मंदिर जिसका जीर्णोद्वार स्वयं मंदिरों को तोड़ने वाले क्रूर शाशक औरंगजेब ने करवाया था।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।