गोलू देवता मंदिर नैनीताल – उत्तराखंड का घंटियों वाला मंदिर गोलू देवता मंदिर नैनीताल ( Golu Devta Temple Nainital ) उत्तराखंड के न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध गोलू देवता का देवस्थल है। यह उत्तराखंड का घंटियों वाला मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। नैनीताल जिला मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। नैनीताल के ही भवाली नामक कसबे से लगभग 03 किलोमीटर दूर स्थित है। और भीमताल से 11 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर में घोड़े पर सवार गोल्ज्यू की संगमरमर की मूर्ति है। मंदिर के गर्भगृह में माँ दुर्गा की मूर्ति भी है। उत्तराखंड…
Author: Bikram Singh Bhandari
ऑपरेशन कालनेमि’ नाम सुनते ही रामायण का वह प्रसंग याद आता है, जब रावण ने हनुमान जी को रोकने के लिए छल का सहारा लिया और एक राक्षस को साधु के वेश में भेजा। इसी पौराणिक कथा से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड पुलिस ने अपने विशेष अभियान का नाम ‘ऑपरेशन कालनेमीऑपरेशन कालनेमि ’ रखा, जिसका उद्देश्य फर्जी साधुओं और ढोंगी बाबाओं को पकड़ना है। उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि क्यों चलाया गया ? हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा और अन्य धार्मिक आयोजनों में कई फर्जी साधु सक्रिय पाए गए। ये लोग – साधु का वेश धारण कर अपराध करते…
ऐपण राखी : भाई बहिन के प्यार का प्रतीक राखी का त्यौहार, रक्षाबंधन 09 अगस्त 2025 को पूर्णिमा की तिथि में मनाया जाएगा। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में यह त्यौहार पारम्परिक जनेऊ पनेउ या जनेऊ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान में कुछ उत्तराखंड के युवा इसे कुमाऊँ की लोककला ऐपण के साथ जोड़कर, ऐपण वाली राखी बना कर उत्तराखंड की लोककला को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उत्तराखंड के कुछ युवाओं ने, उत्तराखंड की पौराणिक पारम्परिक लोककला ऐपण को राखियों में उतार कर , ऐपण कला के संवर्धन में एक नई शुरुआत की है। साथ ही ऐपण राखी…
उत्तराखंड के लोक देवता : उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, भारत का एक ऐसा राज्य है जहां धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का गहरा संबंध प्रकृति और उसके रहस्यमय रूपों से जुड़ा हुआ है। इस प्रदेश में प्रकृति की सुंदरता के साथ-साथ उसकी भयावहता भी एक साथ पाई जाती है। यहीं से उत्तराखंड के लोक देवताओं की उत्पत्ति हुई है। ये देवता न केवल सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में उनकी भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम उत्तराखंड के लोक देवताओं की परंपराओं, उनके प्रभाव, पूजा पद्धतियों और उनके…
परिचय – दण्डेश्वर मंदिर, जिसे दण्डेश्वर या डंडेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में स्थित एक प्राचीन और पवित्र शिवालय है। यह मंदिर जागेश्वर मंदिर समूह से लगभग 2 किलोमीटर पश्चिम में, अल्मोड़ा शहर से 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में, जटागंगा और दूधगंगा नदियों के संगम के ऊपर एक पहाड़ी पर, घने देवदार के जंगल के बीच स्थित है। यह मंदिर वृद्धजागेश्वर मंदिर से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर है और इसके आसपास 8-9 छोटे-छोटे देवालय भी हैं, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं। दण्डेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व- पौराणिक कथाओं के…
उत्तराखंड के पहाड़ों में हर गांव, हर घाटी की अपनी लोककथाएं और देव कथाएं हैं। इन्हीं में से एक हैं एजेंडी बूबू। अपनी-अपनी बोली के हिसाब से कोई उन्हें एजेंटी बूबू कहता है तो कोई अजेंडी बूबू । सफेद कपड़े, सफेद पगड़ी, लंबी दाढ़ी और हाथ में अपने से भी लंबी लाठी लिए बूढ़े से दिखने वाले एजेंडी बूबू, रात के समय जंगलों में भटके लोगों को रास्ता दिखाते हैं। पहाड़ की लोकबोली में वे भटके हुए से कहते हैं – “बाटा बाट हिटो, बाट छाड़ि राखो। (रास्ते पर चलो, रास्ता मत छोड़ो।) पश्चिमी रामगंगा और उसकी सहायक नदियों के…
उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व घी संक्रांति 2025 – उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक पर्व साल 2025 में 17 अगस्त 2025 को रविवार के दिन मनाया जायेगा। उत्तराखंड में संक्रांति उत्सव बड़े धूम धाम से मनाये जाते हैं। संक्रांति उत्सवों की शृंखला में आता है भाद्रपद की पहली तिथि को मनाया जाने वाला लोक पर्व घी संक्रांति ( ghee Sankranti ) जिसे घ्यू सज्ञान , ओलगिया त्यार आदि नामों से जानते हैं। प्रस्तुत लेख में हम घी संक्रांति पर निबंध ( एक संक्षिप्त लेख के रूप में ) और घी संक्रांति पर्व की शुभकामनायें वाले पोस्टर आदि का…
हरेला 2025 की शुभकामना संदेश | हरेला की हार्दिक शुभकामनायें :- जी रया, जागि रया, यो दिन बार भेटने रया! हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, आपका जीवन हरियाली और समृद्धि से भरा रहे। प्रकृति की गोद में बसा हरेला पर्व आपके जीवन में खुशहाली लाए। हरेला की हार्दिक शुभकामनाएं! हरी-भरी फुलवारी, खुशियों की बहार, हरेला पर्व लाए आपके जीवन में अपार प्यार। जी रया, जागि रया! हरेला का पर्व लाए नई उमंग, सियार जैसी बुद्धि और गंगा जैसी पवित्रता और शेर जैसा बल हो , हरेला पर्व की शुभकामनाएं! इस हरेला, प्रकृति के प्रति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प…
भूमिका :- हरेला पर कविता : उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का प्रतीक हरेला पर्व, कर्क संक्रांति पर श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति के प्रति प्रेम, कृषि विज्ञान और सामाजिक एकता को दर्शाता है। सात या पांच अनाजों का मिश्रण बोकर अंकुरण के माध्यम से समृद्धि का संदेश दिया जाता है। मातृशक्ति की देखरेख में तैयार हरेला, पकवानों और पौधरोपण के साथ पर्यावरण संरक्षण का प्रण लेता है। यह कविता हरेला पर्व की भावना को उजागर करती है, जो देवभूमि की परंपराओं और प्रकृति के प्रति उत्तराखंडवासियों के अटूट प्रेम को व्यक्त करती…
पिछले दो हफ्तों से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक गीत तहलका मचा रहा है— पंचाचूली देश ! यह गाना सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है, और लोग इसके ऊपर रील्स बनाकर इसे वायरल कर रहे हैं। लेकिन इस गीत के पीछे छिपे दर्द और गहराई को शायद ही हर किसी ने समझा हो। यह गाना न सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रस्तुति है, बल्कि उत्तराखंड के वासियों के दिल के दर्द को भी अभिव्यक्त करता है। इसे लिखा और गाया है गणेश मर्तोलिया ने, जिन्होंने अपनी साथी गायिका रुचि जंगपांगी के साथ मिलकर इस गीत को नई ऊंचाइयों तक…