पहेली शब्द संस्कृत के प्रहेलिका से बना है। प्रहेलिका का अर्थ है , किसी भी शब्द या वाक्य के बाह्य अर्थ में उसके मूल अर्थ का छिपा होना। मूल अर्थ का प्रकटीकरण या उसका जवाब ही प्रहेलिका या पहेली है। प्राचीन समय में पहेलियाँ बुद्धि चातुर्य और हाजिर जवाबी के साथ मनोरंजन का का मुख्य साधन रहीं हैं। गढ़वाली और कुमाउनी साहित्य में अनगिनत पहेलियों का संकलन है। उन्ही में से कुछ गढ़वाली और कुमाऊनी पहेलियाँ यहाँ संकलित कर रहें हैं।
Table of Contents
कुमाऊनी पहेलियाँ –
- लाल घोड़ पाणी पीबे आईगो सफ़ेद घोड़ जाणो।
- सिमारक हड़ , न सड़ न बढ़।
- काव भूतक सफ़ेद गिच।
- एक यस चीज छू जैक हमेशा स्वर्ग नजर रें।
- काठकी घोड़ी लुवेक लगाम। उमै भैट फुर्की पधान।
- नान -नान बामणिक हाथ भरी चुण।
- सारे कूड़ीक एक्के खाम।
- काउ नथुली ,सुखीली बिंदी।
- बुब जै नाति कै पैला कूनो।
- लाल बट्टू डबलुक भरी।
- सब बाजार गई ,एक घरे लटक रौ।
- ख़ाण बखत खे लिहिनी ,बीज ते नी धरन।
- थाई मा डबल गण नी सकन , स्यारीक सिकाड़ तोड़ नि सकन ,झल्ल बल्द बंधी नी सकन।
- पिसवेक छपरी में नारगी दाणि।
उत्तर –
1 – पूड़ी 2 – जीभ 3 -उड़द की दाल 4 – उखौ (ओ खली ) 5 – दरवाजा ,ताला और चाभी 6 -झाड़ू 7 – छाता 8 – तवा और रोटी 9 -लोटा और घड़ा 10 – लाल मिर्च 11 -ताला 12 -नमक 13 – तारे ,सांप , शेर 14 – हिसालु
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गढ़वाली पहेलियाँ –
- बूण जांद त घार मुख ,घार आंद ते बूण मुख। – उत्तर -कुल्हाड़ी
- भीदडू बामण की सुना की टोपी। – उत्तर – हिस्रा ,हिसालु
- काली छौं ,कलचुंडी छौ। काला डण्डा रैंदु छौ। लाल पाणी पेंदु छौ। – उत्तर – जू
- घैणा जंगलम स्वाणु बाटू -उत्तर – स्यून्द या मांग
- छुटि छोरी को लम्बू फंदा – उत्तर – सुई धागा
- चम्म चमकी मोती का दाणा। फट हर्चि गीन कैल नी पाणा। -उत्तर -ओला
- फट फूटी घेड़ी ,निकलू कालू पाणी। इन्नी मिठू होंद पैली नि जाणी। – उत्तर -किन्गोड़
- उनकि ऊनि छू। ऊनि ले नी देखि। जानी ले नि देखि।। उत्तर- नींद
- एक मनिख का तीन खुट। उत्तर – जैंती , जातीं
- लस्स खुटी ,लस्स पौ। तीन मुंड दस पौ। उत्तर – हल लगाता हुवा किसान।
- हथु -हथु में रैंदु सदनी , पर नीच हाड मांस। ऊँचा डंडा जौंदु छौ जख छौ झक्क घास। उत्तर – कंधी
- मुंड मा मेरु छारु छौ। इन ना बोल्या जोगी छौ। कमर मेरी पतली छौ , इन ना बुल्या टुटदु छौ। पुटगु मेरु गड़गड़ कनु छौ। इन ना बोल्या रुग्णया छौ। उत्तर -हुक्का चिलम।
- गैरी बबरी ,तीतरी बास। गजे सिंह जवँगा मलास। उत्तर- छाछ मथने की आवाज
- एक सिंग्या खाडू दर दर हगन। उत्तर – जंदरु ,
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मित्रों अपनी भाषा अपनी पछ्याँण इसी धेय्य को ध्यान में रखते हुए आज हम अपने इस लेख में कुछ कुमाउनी पहेलियाँ और गढ़वाली पहेलियों का संकलन कर रहे हैं। गढ़वाली में आणा , भ्विणा , औखाण कहते हैं। और कुमाउनी में इन्हे आणा या आणा-काथा कहा जाता है। अपनी भाषा और अपनी संस्कृति के प्रचार के लिए अधिक से अधिक शेयर करें। और यदि आपको इन पहेलियों के अलावा और गढ़वाली पहेलियाँ या कुमाऊनी पहेलियाँ आती हैं तो हमे हमारे फेसबुक पेज देवभूमि दर्शन या फेसबुक ग्रुप में भेजें। हम उनको भी अपने इस लेख में स्थान देंगे।