PRSI 47वां राष्ट्रीय सम्मेलन: पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) के 47वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन “2047 तक भारत को किस तरह विकसित किया जा सकता है” विषय पर गंभीर मंथन किया गया। इस मौके पर प्रशासन, मीडिया, शिक्षा और स्वास्थ्य जगत के दिग्गजों ने एक स्वर में कहा कि ‘विकसित भारत’ का सपना नीतियों के निर्माण से ज्यादा उनके प्रभावी संप्रेषण (Effective Communication) और क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।
सम्मेलन में वक्ताओं ने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए चार प्रमुख स्तंभों—प्रभावी संवाद, मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था, जिम्मेदार मीडिया और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा—को आधार बताया।
सुशासन और उत्तराखंड की बदलती तस्वीर सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री के अपर सचिव श्री बंशीधर तिवारी ने कहा कि सुशासन की सफलता पूरी तरह से पारदर्शी और संवेदनशील संचार पर टिकी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की योजनाएं तभी सफल होती हैं जब उनकी सही जानकारी अंतिम व्यक्ति तक समय पर पहुंचे।
उत्तराखंड के विकास का खाका खींचते हुए श्री तिवारी ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा, “प्रदेश में धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ा है। इस वर्ष अकेले चारधाम में 50 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। सरकार अब आदि कैलाश, जागेश्वर धाम, कैंची धाम और मानस खंड मंदिरमाला को विकसित कर रही है, जिससे हर साल करीब 7-8 करोड़ पर्यटक प्रदेश में आ रहे हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में रिवर्स पलायन (Reverse Migration) को बढ़ावा दिया जा रहा है और युवाओं के लिए स्वरोजगार की 35 नई नीतियां तैयार की गई हैं।
पहाड़ों में टेलीमेडिसिन बनी वरदान स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सम्मेलन के पहले सत्र में कहा कि एक स्वस्थ राष्ट्र ही विकसित राष्ट्र बन सकता है। उन्होंने उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में डिजिटल हेल्थ सेवाओं की भूमिका की सराहना की। डॉ. कुमार ने कहा, “पहाड़ी क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन सेवाओं ने क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे अब दूरस्थ गांवों में भी विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवाएं सुलभ हो गई हैं।”
विज्ञान और नवाचार: विकास की आधारशिला यूकोस्ट (UCOST) के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत ने युवाओं को वैज्ञानिक सोच अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान, नवाचार और अनुसंधान विकसित भारत की नींव हैं और विज्ञान संचार के माध्यम से शोध कार्यों को आम समाज से जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है।
फेक न्यूज डिजिटल युग की बड़ी चुनौती सम्मेलन के दूसरे सत्र में ‘मीडिया, शिक्षा और लोकतंत्र’ पर चर्चा हुई। एनडीटीवी (NDTV) के सीनियर एडिटर डॉ. हिमांशु शेखर ने डिजिटल युग में ‘फेक न्यूज’ को पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने पत्रकारों से तथ्यों की जांच, संवेदनशीलता और विश्वसनीयता बनाए रखने का आह्वान किया।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नितिन उपाध्याय ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए सरकारी योजनाओं को पारदर्शिता के साथ जनता तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन संचार प्रणाली को समय के साथ अपडेट करते रहना जरूरी है।
मीडिया और शिक्षा का समन्वय जरूरी सत्र में सीआईएमएस (CIMS) कॉलेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित जोशी ने कहा कि शिक्षा और मीडिया का समन्वय ही समाज को सशक्त बना सकता है। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अनुपम त्रिवेदी ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए इसे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बताया।
IIMC, नई दिल्ली की प्रोफेसर डॉ. सुरभि दहिया ने चर्चा का समापन करते हुए कहा कि संचार शिक्षा का उद्देश्य केवल पेशेवर तैयार करना नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनाना होना चाहिए। सत्र का संचालन श्री संजीव कंडवाल ने किया।
