रुद्रपुर। उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भाषा को जीवंत रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सोमेश्वर घाटी के दीपक भाकुनी को प्रतिष्ठित “कुमाऊनी भाषा सेवी सम्मान 2025” से नवाज़ा गया है। यह सम्मान उन्हें कुमाऊनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रसार समिति, कसार देवी अल्मोड़ा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय कुमाऊनी भाषा सम्मेलन 2025 के समापन सत्र में प्रदान किया गया।
दीपक भाकुनी को यह सम्मान कुमाऊनी भाषा के संवर्धन और संरक्षण हेतु उनके अथक प्रयासों और सक्रिय योगदान के लिए दिया गया है। दीपक, अपने युवा और ऊर्जावान संगठन ‘उज्याव’ (Ujyaav) के माध्यम से कुमाऊनी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने सोमेश्वर में ‘उज्याव’ के तत्वाधान में “कुमाऊनी भाषा युवा सम्मेलन और सम्मान समारोह” का सफलतापूर्वक आयोजन कर भाषा के प्रति युवा पीढ़ी को जोड़ने का सराहनीय कार्य किया है।
17वां राष्ट्रीय कुमाऊनी भाषा सम्मेलन: एक व्यापक प्रयास
यह तीन दिवसीय विशाल आयोजन (8 से 10 नवंबर 2025) रुद्रपुर के सिद्धार्थ नगर स्थित सामुदायिक केंद्र हॉल में हो रहा हैं। कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, अल्मोड़ा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से लगभग 500 साहित्यकार, भाषाविद्, कलाकार और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
सम्मेलन के प्रमुख बिंदु:
- उद्घाटन सत्र (8 नवंबर): उत्तराखंड के मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि की गरिमामयी उपस्थिति में सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। पहले दिन कुमाऊंनी लोकगीतों, जागर और पारंपरिक नाटकों की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं, जिन्होंने कुमाऊंनी संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाया।
- साहित्यिक सत्र (9 नवंबर): दूसरे दिन भाषा संरक्षण पर गंभीर चर्चाएं हुईं, जिसमें कुमाऊंनी कविता पाठ और पुस्तक प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण रहे। विशेषज्ञों ने विशेष रूप से कुमाऊंनी भाषा को विश्वविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया।
- समापन एवं सम्मान समारोह (10 नवंबर): अंतिम दिन समापन सत्र में प्रस्ताव पारित किए गए और महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया, जिसमें दीपक भाकुनी को दिया गया “कुमाऊनी भाषा सेवी सम्मान 2025” प्रमुख रहा।
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प्रमुख उद्देश्य और महत्व
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कुमाऊंनी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को और अधिक बल देना था। वक्ताओं ने कुमाऊं क्षेत्र में स्थानीय साहित्य को बढ़ावा देने और पलायन के कारण लुप्त होती भाषा को युवा पीढ़ी में पुनः लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रुद्रपुर जैसे महत्वपूर्ण केंद्र (जहां उधम सिंह नगर जिले के अधिकांश निवासी कुमाऊंनी बोलते हैं) पर इस 17वें संस्करण का आयोजन स्थानीय भाषा प्रेमियों की मांग पर किया गया था। इस सम्मेलन ने कुमाऊंनी को राजभाषा का दर्जा देने और भाषा अकादमियों की स्थापना की मांग को एक बार फिर से दोहराया है।
आयोजकों ने विश्वास व्यक्त किया है कि यह आयोजन कुमाऊंनी संस्कृति को जीवंत रखने और भाषा के संरक्षण की मुहिम में मील का पत्थर साबित होगा।
दीपक भाकुनी को मिला यह सम्मान उनके और ‘उज्याव’ संगठन के प्रयासों की पहचान है, जो यह साबित करता है कि युवा पीढ़ी भी अपनी मातृभाषा और संस्कृति को बचाने के लिए पूरी तरह समर्पित है।
