गढ़वाली लोकगीत हमारी संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन गीतों में हमें गढ़वाली समाज के रीति-रिवाज, मानवीय संवेदनाएँ, और दिल छूने वाले भावनात्मक पहलू देखने को मिलते हैं। इस लेख में हम कुछ प्रसिद्ध गढ़वाली गीत लिरिक्स (Garhwali Song Lyrics) का संकलन कर रहे हैं, जो न केवल गढ़वाल की भूमि की खूबसूरती और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं, बल्कि संगीत और लय में बसी हुई गहरी भावनाओं का भी अहसास कराते हैं।
Table of Contents
1. गढ़वाली लोकगीत गाडो गुलाबंद गुलबंद को नगीना (Garhwali Song Lyrics)
यह गीत गढ़वाली लोक संगीत का एक अनमोल रत्न है, जिसे बीना कुकरेती जी ने गाया था। इस गीत की हर एक पंक्ति गढ़वाली जीवन की पारंपरिक कहानियों और रिश्तों को दर्शाती है। विशेष रूप से सास-बहू की नोकझोक को इस गीत के माध्यम से सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
गीत के बोल:
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।
अरे गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।
अरे गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
सरर्या दिन रैंदु स्वामी जी, डान्डीयौ सारी ,
फिर भी सासू मा, कर्राट च भारी
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना।
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना,
सासू बैठी रैंदी चौक तिबारी मा।
रवटी मीथा देंदी, लूणा की गारी म।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
लती कपडियों थे, कनकवे मिल लौण पैरणा ,
सासू जील यामा, बिदोन कैरणा।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना
में से नि रयांदु सासू की जेल मा
स्वामी जी घौर आवा बैठिकी रेल मा।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना।
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
सासू जी उठांदी मि, आधा रात म ,
मिल त चली जाणा, स्वामी का साथ म
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
यह गीत गढ़वाली लोक जीवन के कश्मकश और रिश्तों की जटिलताओं को प्रदर्शित करता है। इसमें गढवाल की भाषा और बेजोड़ लय है, जो सुनने वालों के दिल को छू जाती है।
2. हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे (Garhwali Song Lyrics)
यह गढ़वाली गीत रेखा धस्माना उनियाल जी द्वारा गाया गया है। इस गीत में एक लड़की की जिज्ञासा और उसकी सुंदरता के बारे में बयां किया गया है। गीत में दर्जी से अंगड़ा (कपड़ा) बनाने की प्रक्रिया को भी दर्शाया गया है।
गढ़वाली गीत के बोल:
दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे”
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे।
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
मिन आज नैनी डांडा देवी का पास जाण,
देवी का नौकु बुगठ्या मिन आज वख चडाँण।।
मिन आज नैनी डांडा देवी का पास जाण।
देवी का नौकु बुगठ्या मिन आज वख चडाँण।
इन आज मन च मेरु सोंजड्या भी मिलालु,
सोंजड्या मेरी अंगडी घघरी पर मोहेलु।
ये घघरी पर नौ गजा कू खोल लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे ,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
इन फिट दरजी दादा अंगडी सीली तू,
मोटी सी कमर मा जू पट की चिपकी जौ ,
इन फिट दरजी दादा अंगडी सीली तू।
मुट्ठी सी कमर मा जू पट की चिपकी जौ
उ म्यारू सोंजड्या त श्रृंगार शौकिया च,
फूलों मा वेकु प्यार रंगीला मन वलु च।
ईं अंगडी पर फूल दार तैणी लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
मे आज रात एक सुपिनु प्यारु होया,
फूलों क बण म गौं मी घघरी घूमे क,
मे आज रात एक सुपिनु प्यारु होया।
फूलों क बण म गौं मी घघरी घूमे क,
उ म्यारा समणी आया बांसुली बजांद।
ईं घघरी पैरीक नाचण लग्युं च
मेरी अंगडी पर टिच दार बटण लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे ,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
जन्नी उ म्यारा समणी हैंसदा आला दीदा।
घूँघट क्यांकू करलु चदरि तिनीच,
जन्नी उ म्यारा समणी हैंसदा आला दीदा।
घूँघट क्यांकू करलु चदरि तिनीच,
चदरि हो त इन्नी जु जालीदार हो.
घूँघट बटे उन्कु मुक भल कै दिखे हो।
ये चदरि पर रंगबिरंगी टुफ्की लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे।
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
इस गीत के माध्यम से गढ़वाली संस्कृति की जीवंतता और वहां के पारंपरिक पोशाकों का समावेश दर्शाया गया है।
3. दादू मि पर्वतु को वासी (Garhwali Song Lyrics)
यह गढ़वाली गीत नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा रचित है। यह गीत गढ़वाल की संस्कृति और पर्वतीय जीवन के दर्शन को प्रस्तुत करता है। इसमें दादू (दादा) के बारे में बात की गई है, जो पर्वतीय जीवन के नायक होते हैं।
गीत के बोल:
दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले।
दादू मेरि सोंज्यडया च काफू
दादू मेरि गेल्या च हिलांसी।
झम झम ले।
छायो मि भाजी को प्यारु,
छायो मि मांजी को लादुलो
छो मेरा गोल को हंसुलो।
दादू रे बोजी को भिन्तुलो।।
दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। …
झम झम ले।
दादू मिन रोंस्लयों का बीच
बेठी की बांसुरी बजेनी
दादू मिन चेरी की चुराखियो ल
चल्कदा ह्युन्च्ला दिखेनी
झम झम ले दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले
इस गीत के माध्यम से गढ़वाली समुदाय के वरिष्ठों के योगदान और उनके सम्मान को प्रस्तुत किया गया है।
4. मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई (Garhwali Song Lyrics)
यह गीत गढ़वाली संगीत का एक और प्यारा उदाहरण है, जिसे सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी ने गाया। यह गीत एक प्रेमिका की भावनाओं और उसके प्रेमी से जुड़ी आशाओं और कष्ठों को व्यक्त करता है।
गढ़वाली गीत के बोल :
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई,
दुई गति बैशाख सुरमा मेरा मुलुक मेला।
दुई गति बैशाख सुरमा मेरा मुलुक मेला।
मेरा मुलुक मेला एजई…
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
चिलामी को पीच सुरमा चिलामी को पिच।
चिलामी को पीच सुरमा चिलामी को पिच।
बंडी दीनो बटी क सुरमा तेरी खुद लगी च,
तेरी खुद लगी च सुरमा तेरी खुद लगी च.
उखी चरखी रिथैए, सुरमा
उखी खताएइ मिठाई, सुरमा।
उखी मंदिर मा जुला, सुरमा।
उखी पूजा पिठायी एजई….
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
वोख पेराई नयी सुरमा, वोका पेराई नयी सुरमा
वोख पेराई नयी सुरमा, वोका परायी नयी।
बंडी दीनो बटी तू सुरमा सुप्नेयोमा न एयी।
सुपुन्यु न एयी सुरमा सुप्नेयोमा न ए यी
उखी लागोलो बाज़ार सुरमा।
उखी मुल्योला हार सुरमा।
उखी छुयु की बार सुरमा।
उखी होलू करार एजई…
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई..
देहि जमाई ठेकी सुरमा दही जमाई ठेकी.
देहि जमाई ठेकी सुरमा दही जमाई ठेकी-२
बंडी दिनों बाटिक सुरमा तेरी मुखडी नि देखि..
तेरी मुखडी नि देखि..सुरमा
मुखडी नि देखि..
उखी डालों का छेला सुरमा
उखी रंषा झुमेला मेला सुरमा
उखी डेलू सुराक सुरमा
सम्लोना रूमेला एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई
कासु काटी घास सुरमा, कासों कासु घास।
कासु काटी घास सुरमा, कासु काटी घास।
बंडी दिनों बिछोड सुरमा बलि ज्यानी को नास.
बलि जवानी को नास सुरमा बलि जवानी को नास।
मेरी दिली के दुलारी सुरमा।
सारी दुनिया से नयारी सुरमा
मेरा मन के प्यारी सुरमा
सौ बचन न हारी एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला
दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला
मेरा मुलुक मेला एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई
यह गीत गढ़वाली लोक संगीत की सुंदरता और इसके गहरे भावनात्मक आयामों को दर्शाता है।
5. ओटूवा वेलेणा ओटूवा बेलेणा (Garhwali Song Lyrics)
यह गीत एक परंपरागत गढ़वाली गीत है, जिसमें एक लड़की के सौंदर्य और उसकी नृत्य कला का वर्णन किया गया है। गीत में गढ़वाली संस्कृति की नृत्य और संगीत की सुंदरता को दर्शाया गया है।
गीत के बोल:
ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा”
ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा।
जायान बागीता ऐजाणु खेलेणा मेरी, रेशमी रुमैला ऐजाणु खेलेणा।
ताकुलू ऊनी कु ताकुलू ऊनी कु मेरी, रश्मि रूमेला ताकुलू ऊनी कु।
जायांन बगीता उज्यालु जुनी कु मेरी, रश्मि रूमेला उज्यालु जुनी कु,
बेडू पक्या बोरू -बेडू पक्या बोरू मेरी, रश्मि रूमेला बेडू पक्या बोरू,
उज्यालू जुनीकू मै याखुल्या डोरू मेरी, रश्मि रूमेला मै याखुल्या डोरू।
चीने इ भड़ेती, चीने इ भड़ेती मेरी, रश्मि रूमेला चीने इ भड़ेती।
तू याखुल्या डोरू मी दियुलू आडेती मेरी, रश्मि रूमेला मी दियुलू आडेती।
पाणी को गाजर पाणी को गागर मेरी, रश्मि रूमेला पाणी को गागर।
कन भालू लगादु नोगाऊ बाजार मेरी, रश्मि रूमेला नोगाऊ बाजार।
ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा
निष्कर्ष:
यह संकलन गढ़वाली लोक गीतों के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इन गीतों में गढ़वाली जीवन की सरलता, कठिनाइयाँ, और प्रेम-भावनाएँ स्पष्ट रूप से दर्शाई गई हैं। ये गीत न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि यह हमारे आंतरिक संसार की भावनाओं को भी व्यक्त करते हैं। उम्मीद है कि यह संकलन आपके दिल को छूने में सफल रहेगा और गढ़वाली संगीत को समझने में एक नई दृष्टि प्रदान करेगा।
इसे भी देखें:
- नरेंद्र सिंह नेगी जीवन परिचय, 50 वर्षों की गीत यात्रा और अमर गीत
- खुशी जोशी उत्तराखंड की मशहूर लोकगायिका | खुशी जोशी भजन लिरिक्स