देहरादून: उत्तराखंड में बेसिक शिक्षकों के 2,917 पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग को आशंका है कि कुछ अभ्यर्थियों ने गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल करके दूसरे राज्यों से D.El.Ed (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) प्राप्त कर लिया है और अब वे उत्तराखंड में शिक्षक बनने के लिए आवेदन दे रहे हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि जांच में किसी अभ्यर्थी के दस्तावेज फर्जी पाए गए तो उसका आवेदन रद्द कर दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा, “हम उत्तराखंड के युवाओं को शिक्षक बनने का समान अवसर देना चाहते हैं। बाहरी राज्यों से आने वाले फर्जी अभ्यर्थियों की वजह से हमारे युवाओं के हक़ मारने वाले किसी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
यह भी पाया गया है कि कुछ अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होने का दावा करते हुए डीएलएड प्राप्त किया है, जबकि वे वास्तव में उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। ऐसे अभ्यर्थियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
DLL के लिए उत्तराखंड मूल निवास अनिवार्य
उत्तराखंड में डीएलएड करने के लिए अभ्यर्थी का राज्य का मूल या स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (DIETs) में डीएलएड के लिए सभी सीटें उत्तराखंड के युवाओं के लिए आरक्षित हैं।
इसे पढ़े : श्री 1008 मूल नारायण देवता , कुमाऊं के कल्याणकारी देवता।
शिक्षक भर्ती में युवाओं को मिलेगा समान अवसर
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से पहले सभी नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
यह खबर उन सभी युवाओं के लिए राहत की बात है जो उत्तराखंड में शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं। सरकार द्वारा की जा रही जांच से फर्जी अभ्यर्थियों को बेनकाब करने में मदद मिलेगी और योग्य युवाओं को शिक्षक बनने का मौका मिलेगा।