Monday, April 28, 2025
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नाची गेना भोले बाबा ,भगवान शिव को समर्पित गढ़वाली भजन।

भगवान शिव को सनातन धर्म के लोग अपनी अपनी संस्कृति और अपनी बोली भाषा के अनुसार अलग अलग तरीके से मानते हैं। उत्तराखंड के पहाड़ वासियों से भगवान् शिव का एक अलग ही रिश्ता है। कहते हैं यही भोले का घर और ससुराल दोनों हैं। उत्तराखंड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं में भोलेनाथ को अपनी अपनी पद्धतियों से पूजते हैं। तथा ,अपनी अपनी भाषा ,बोली में भगवान शिव का स्तुति गान करते हैं। नाची गेना भोले बाबा,भगवान भोलेनाथ  को समर्पित गढ़वाली शिव भजन  है ,जो हमे भगवान् शिव की भक्ति में झूमने पर मजबूर कर देता है।

इस भजन का वीडियो यहां देखें ।

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नवम्बर 2014 को रिलीज हुवा यह गढ़वाली शिव भजन आज भी गढ़वाली समाज में उतना ही लोकप्रिय है जितना पहले था।  या यूँ कह सकते हैं कि इस गढ़वाली भजन की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शिवजी को समर्पित यह गढ़वाली भजन कर्णप्रिय और झूमने पर मजबूर कर देता है।

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इस गढ़वाली गीत  के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी –

  •  गीत का नाम – नाची गेना भोले बाबा  , Nachi Gena Bhole baba  .
  • इस गढ़वाली गीत के अल्बम का नाम है लडबडी बांद।
  •  सुनील स्नेहवाल  इस गीत के गायक और लेखक हैं।
  • संजय कुमोला जी ने इस पहाड़ी भजन को अपने सुरों से सजाया है।
  • यह गीत हार्दिक फिल्म और एंटरटेनमेंट , Hardik Films Entertainment Pvt Ltd नामक यूट्यूब चैनल से रिलीज हुवा है।
गढ़वाली शिव भजन
गढ़वाली शिव भजन

यहाँ देखिये गढ़वाली शिव भजन लिरिक्स –
अरे भल बजणु चा डमरू ऊँचा कैलाश मा।
अरे छम छमा नचंण लैगे, अरे शिव कैलाश मा।
नाची गेना , अहा नाची गेना , अरे नाची गेना
,म्यरा  भोले बाबाजी नाची गेना। -२
बाजी गेना , अहा बाजी गेना ,
डम -डमरू बाजी  गेना। …२
अरे नाची गेना ,हा नाची गेना  ,
म्यरा भोले बाबाजी नाची गेना।
जय हो बम बम भोले नाथ।
अरे नाची गेना मेरा भोले बाबा – २
एक हाथ तिरशूल  तेरु,एक हाथ डमरु -२
आंखी  तेरी लाल हुएनी पेय्के भंगुलु – २
अरे नाची गैना, अहाँ नाची गेना।
भोला पेय्के भंगुलु नाची गैना।
बाजी गेना , अहा बाजी गेना ,
डम -डमरू बाजी  गेना।
अरे मानी गेना , भोले बाबा।
अरे नाची गेना म्यरा नीलकंठ त्रिपुरारी  नाची गेना।
कैलाश मा रोंदा शम्भू गौरा जी का संग -२
गणपति जी लाल तेरा तन रैंदु उलंग।
अरे नाची गेना , अहा नाची गेना।
सभी देवता भी संग त्यारा नाची गेना।
बाजी गेना , अहा बाजी गेना ,
डम -डमरू बाजी  गेना।
जय हो नीलकंठ महादेव।
जय हो जाता जूट धारी बाबा।
गौल  माँ गुरों की बाघम्बर धारी। -२
जटा माँ च तेरी नंदी सवारी। -२
अरे ऐगेना , अहा एगेना ,
भोला नंदी में बैठी आइगेना।
बाजी गेना , अहा बाजी गेना ,
डम -डमरू बाजी  गेना।

गढ़वाली शिव भजन लिरिक्स

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इन्हे भी पढ़े: सिख नेगी , उत्तराखंड गढ़वाल की एक ऐसी जाती जो दोनो धर्मों को मानती है ।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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