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श्वेता वर्मा उत्तराखंड की होंनहार विकेटकीपर बल्लेबाज अब खेलेंगी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए।

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शनिवार 27 फरवरी 2021 उत्तराखंड की बेटियों के लिए शुभ दिन आया है। एक ओर नैनीताल की बेटियों को आज सरकार ने सम्मानित किया है, वही पिथौरागढ़ थल की बेटी श्वेता वर्मा का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हुआ है। साउथ अफ्रीका के साथ 7 मार्च से शुरू हो रही एक दिवसीय पांच मैचों की श्रंखला के लिए ,भारतीय महिला क्रिकेट टीम में उत्तराखंड कि थल निवासी विकेटकीपर बल्लेबाज श्वेता वर्मा का चयन हुआ है।

Up की टीम से खेलने वाली श्वेता का चयन 2020 में India A टीम के लिए भी हुआ था। एकता बिष्ट , मानसी जोशी  के बाद श्वेता उत्तराखंड की तीसरी महिला हैं, जिनका चयन राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में हुआ है।

श्वेता वर्मा उत्तराखंड की होंनहार विकेटकीपर बल्लेबाज अब खेलेंगी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए।
कौन है उत्तराखंड की श्वेता वर्मा –

टेलेंट संसाधनों का मोहताज नही होता, अपनी इच्छा शक्ति और जूनून के बल से टेलेंट खुद को साबित कर देता है। और इस बात को यथार्थ किया है, उत्तराखंड पिथौरागढ़ की बेटी श्वेता वर्मा ने। गरीब परिवार और विषम परिस्थितियों वाले पहाड़ में  में पैदा हुई श्वेता वर्मा ने अपनी मंजिल हासिल कर ,पहाड़ की अन्य बेटियों के लिए एक उदाहरण पेश किया है।

थल कस्बे की श्वेता वर्मा ने प्राथमिक शिक्षा ,स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर से की । उनकी माता जी  प्राथमिक विद्यालय में आंगन बाड़ी में कार्यरत हैं। परिवार के सदस्यों के साथ टेलीविजन पर क्रिकेट मैच देखते हुए , उनको इस खेल में ऐसी रूचि पैदा हुई कि, इसे अपना लक्ष्य बना लिया।

प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होते ही उन्होंने अपने हाथ मे बल्ला थाम लिया था। उनकी साथ कि सहेलियों को इस खेल में कोई दिलचस्पी नहीं थी। गांव की खेल प्रतियोगिताओ में  वो खेलने लगी, जब खेलने के लिए साथ मे लड़किया नही थी, तो वो लड़को के साथ खेलती थी।

बारहवीं परीक्षा पास करने के बाद तो उनको क्रिकेट की धुन सवार हो गई। आगे की शिक्षा के लिए वो अल्मोड़ा पहुँची। उन्होंने वहां अपना टेलेंट दिखाना शुरू कर दिया।

वहा के कोच लिकयात अली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, और 4 वर्ष तक उनको क्रिकेट का ज्ञान दिया,और बारीकियां सिखाई। इस दौरान उन्होंने कई क्रिकेट टूर्नामेंट खेले, फिर उनका चयन उत्तर प्रदेश की महिला टीम में हुआ। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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