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उत्तराखंड का प्राकृतिक, और आध्यात्मिक सौंदर्य पर एक संशिप्त लेख

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उत्तराखंड का प्राकृतिक
उत्तराखंड का प्राकृतिक

हमारे उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य की बानगी तो सर्वविदित तो है ही है, तभी तो प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड जैसे विदेशी लोग मंसूरी जैसी जगहों पर अपना बसेरा खुद की ही जन्मभूमि को छोड़कर बनाते हैं। इसी तरह हमारे लिए एक गौरव का विषय है कि, देशी-विदेशी पर्यटक यहां आकर के हमारी संस्कृति के कायल हो जाते हैं और हमारे धर्म को स्वीकार कर लेते हैं और हिन्दुत्व को अंगीकार कर लेते हैं ।

जैसे हमारे जागर सम्राट श्री प्रीतम भरतवाण की सिनसिनाइटी अमेरिका में जहां वे विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर काम करते हैं। और विदेशी अमेरिकन फ्यूलीदास ने भी ढोल की विधा में प्रवीणता हासिल कर रखी है। इसी तरह विदेशी तो क्या हमारे देश वालों के लिए भी उत्तराखंड पर्यटन की एक प्रसिद्ध जगह है। द्रोणनगरी के नाम से विख्यात देहरादून जो उत्तराखंड की राजधानी है, मैदानी क्षेत्र होने के बावजूद जैसे एक मिनी इण्डिया जैसी जगह बन गया है ।

फूलों की घाटी हो या हेमकुंड साहब और देवभूमि की महत्ता को बरकरार रखते हुए इसके महत्त्व को प्रगाढ़ बनाते हुए बद्री विशाल, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे विशेष आकर्षण को देवत्व की ओर ले जाते हुए ये उत्तराखंड के चारों धाम हों, पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं ।

पर्यटन की विशेषताओ को अपनी ओर आकर्षित करते हुए हमारी इस देवभूमि में अभी भी अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। पर्यटन को यदि वित्तीय दृष्टि से भी देखें तो सरकार के राजस्व में यह एक प्रमुख भूमिका अदा करता है ।
हमारी इस देवभूमि में प्रसिद्ध तीर्थस्थलों जैसे बद्रीनाथ आदि के अतिरिक्त छोटे बड़े मंदिर सिद्धपीठ आदि हैं जिनमे यदि हमारा अखंड विश्वास है तो हम मनवांछित फल की प्राप्ति अवश्य प्राप्त कर सकते हैं । इन छोटे छोटे तीर्थ स्थलों को हमें महत्ता देने के लिए इनके स्थान किस रूप में देवता विराजमान हैं।

और उनका प्राकट्य किस प्रकार हुआ और उसके पीछे क्या कहानी प्रचलित है, का एक विस्तृत ब्योरा जैसे दूरी, पैदल का रास्ता, समुद्र तल से दूरी, आस-पास की भौगोलिक परिस्थितियां , वातावरण का तापमान आदि का एक विस्तृत ब्यौरा तैयार किया जाए और उसे सर्वसुलभ भी बन जाए तो पर्यटकों को नए-नए पर्यटक स्थल चिन्हित कर अपनी पसंदीदा जगह पर भ्रमण करने के लिए सुविधा होगी।

इसके अतिरिक्त उक्त स्थल के इतिहास और ऐसी कौन कौन सी घटनाएं हैं जो इस तरह घटित हुई हों, जिससे यदि हमारा भी उस ईष्ट पर पूर्ण विश्वास होकर के पर्यटक अपना इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं । हमारी देवभूमि के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लगाने वाली जो हरियाली है उसमे कई पादप हैं उनमें कई औषधीय गुण विद्यमान हैं कई ऐसी दुर्लभ सी वनस्पतियां और पादप भी विद्यमान हैं, जिन पर यदि अन्वेषण हो तो अमृत तुल्य कई रत्न निकल सकते हैं, लेकिन विडंबना कि हम में से कई पढ़े लिखे लोग इसकी महत्ता को अनदेखा कर रहे हैं ।

अब तो जो पर्यटक हमारी इस देवभूमि में आ रहे हैं, वे ही इस कार्य को बड़ी लगनशीलता से कर रहे हैं, हमे भी चाहिए हम भी उनसे इस ज्ञान को प्राप्त करके लाभ अर्जित करने में सफ़ल हो सकें। पर्यटन में होटल व्यवसायियों, यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने में जो लोग,पशु सहित उनके हांकने वालों का भी रोजगार सृजन होता है।
केवल हमारे देवस्थलों के दर्शनार्थ ही नही अपितु यहां के पर्वत पहाड़ का विहंगम दृश्य, नदियां, पक्षियों का कलरव, झरने जिम कार्बेट जैसे नेशनल पार्क, कहीं बर्फ की चादर ओढ़ी वादियां आदि का भी सरंक्षण किया जाए क्योंकि पर्यटन के क्षेत्र में इनकी भी अहम भूमिका है ।

आलेखबद्ध विचार
प्रदीप बिजलवान बिलोचन
लेखक टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी हैं। और शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। देवभूमी दर्शन वेब पोर्टल पर इनके आलेख ,कविताएं संकलित होते रहते हैं।

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