Friday, April 18, 2025
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उत्तराखंड के मदरसों में रामायण : अगले शैक्षिक सत्र से पाठ्यक्रम में शामिल होगी रामायण और संस्कृत

देहरादून: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने ऐलान किया है कि आगामी शैक्षिक सत्र, जो मार्च या अप्रैल में शुरू होगा, से उत्तराखंड के मदरसों में रामायण और संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही, शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षक के रूप में पूर्व रक्षा कर्मियों की नियुक्ति भी की जाएगी ताकि छात्रों की शारीरिक फिटनेस और अनुशासन सुनिश्चित किया जा सके।

उत्तराखंड के मदरसों में रामायण ,संस्कृत का उद्देश्य “शिक्षा को आधुनिक बनाना, व्यापक शैक्षिक अवसर प्रदान करना –

इस पहल का उद्देश्य “शिक्षा को आधुनिक बनाना, व्यापक शैक्षिक अवसर प्रदान करना और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देना” है। वक्फ बोर्ड का प्लान है कि वर्ष के अंत तक आठ से दस मदरसों को आधुनिक बनाया जाए, और छोटे मदरसों को केंद्रीय सुविधाओं में विलय किया जाए, जो रणनीतिक स्थानों पर स्थित हों। शादाब शम्स, राज्य वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन ने कहा, “इससे प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी और खाली संपत्तियों का उपयोग करके आय बढ़ाने का अवसर मिलेगा।”

नया पाठ्यक्रम पहले देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों के चार मदरसों में लागू किया जाएगा। इसके बाद शिक्षक भर्ती के बाद इसे वक्फ बोर्ड के तहत 113 बाकी मदरसों में भी लागू करने की योजना है। वर्तमान में उत्तराखंड में 419 पंजीकृत मदरसे हैं, जिनमें से 117 वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। मुस्लिम कॉलोनी, देहरादून में स्थित पहला मॉडल मदरसा अपनी अपग्रेडिंग के अंतिम चरण में है।

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उत्तराखंड के मदरसों में रामायण

उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा तैयार, मार्च 2025 से होगा संचालित :

उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा, “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा ”, अब पूरी तरह बनकर तैयार है। यह देहरादून के रेलवे स्टेशन के पास मुस्लिम कॉलोनी में स्थित है और इसे उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने करीब 50 लाख रुपये की लागत से विकसित किया है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने घोषणा की है कि यह मदरसा मार्च 2025 से नए शैक्षणिक सत्र के साथ छात्रों के लिए खोला जाएगा। इस मदरसे को आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस किया गया है, जो पारंपरिक इस्लामी शिक्षा और आधुनिक विषयों का बेहतरीन समावेश प्रदान करेगा।

आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा मदरसा इस मदरसे में छात्रों के लिए निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध होंगी:

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  • स्मार्ट क्लासरूम्स : उच्च गुणवत्ता वाले कक्ष, आधुनिक फर्नीचर और स्मार्ट बोर्ड।
  • कम्प्यूटर लैब: छात्रों को डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए।
  • वैकल्पिक भाषा : अरबी के साथ-साथ संस्कृत पढ़ने का भी विकल्प।

निःशुल्क शिक्षा और सामग्री :

शादाब शम्स ने बताया कि मदरसे में छात्रों को निःशुल्क शिक्षा, किताबें और स्कूल ड्रेस दी जाएंगी। यह कदम आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

रिटायर्ड फौजी देंगे शारीरिक शिक्षा :

मदरसे की एक अनूठी पहल यह है कि यहां छात्रों को शारीरिक शिक्षा देने के लिए रिटायर्ड फौजियों को प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। ये प्रशिक्षक न केवल छात्रों को शारीरिक रूप से फिट बनाएंगे, बल्कि उनमें देशभक्ति और अनुशासन का भाव भी विकसित करेंगे।

छोटे मदरसों का हुआ विलय :

इस आधुनिक मदरसे के निर्माण के दौरान आसपास के 10 छोटे मदरसों को बंद कर दिया गया है। इन सभी मदरसों के छात्रों को इस बड़े और आधुनिक मदरसे में स्थानांतरित कर दिया गया है। वक्फ बोर्ड का मानना है कि इस विलय से प्रबंधन आसान होगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

शिक्षा का नया आयाम :

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के अद्वितीय संगम का प्रतीक बनकर उभरेगा। यह कदम उत्तराखंड में शिक्षा की दिशा में एक नई सोच और दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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