Tuesday, April 1, 2025
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उत्तराखंड की ढोल गर्ल बनकर उभर रही है पहाड़ की बेटी वर्षा बंडवाल

Uttarakhand Dhol girl Varsha bandwal

उत्तराखंड में महिलाओं का स्वर्णिंम इतिहास रहा है। शाशन या सत्ता सहयोग मिले या न मिले, उत्तराखंड की दृढ़ निश्चयी मातृशक्ति ने अपने लिए स्वतंत्र रह चुनी और उस पर सफल होकर दिखाया। उत्तराखंड की महिलाओं की सफलता की कहानिया प्रतिदिन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से सुन कर मन गौरवान्वित हो जाता है। आज आपको उत्तराखंड की एक ऐसी ही लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जो आजकल उत्तराखंड में ढोल गर्ल के नाम से मशहूर हो रही है।

उत्तराखंड की ढोल गर्ल
वर्षा बंडवाल , फोटो साभार सोशल मीडिया

कौन है उत्तराखंड की ढोल गर्ल?

उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के गडेरा, पीपलकोटी निवासी वर्षा बंडवाल ने अपने लिए वो राह चुनी है, जिसमे पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है। वर्षा बंडवाल ने ढोल वादन के क्षेत्र में कदम बढ़ाकर पारम्परिक वर्जनाओं को तोड़ कर एक नई परम्परा की शुरुवात की है। जब वर्षा ढोल पर ताल देती है, तो सुनने वाला मन्त्र मुग्ध हो जाता है। छोटी सी उम्र में ढोल वादन में वर्षा की महारथ को देख हर कोई हतप्रभ रह जाता है। वर्ष 2022 में पीपलकोटी के बंड मेले में लोकनृत्य पौणा में वर्षा का ढोलवादन मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा।

विगत सप्ताह रविवार के दिन देहरादून में राष्ट्रिय उत्तराखंड महासभा द्वारा आयोजित नंदा शक्ति सम्मान समारोह में वर्षा और उनके सहयोगी अनुज राणा को विशिष्ट सम्मान से सम्मनित किया गया। वर्षा बंडवाल ढोल वादन प्रतियोगिता में ब्लाक स्तर व जिला स्तर पर प्रथम तथा राज्य स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त क्र चुकी है।

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उत्तराखंड की ढोल गर्ल
बंड मेले में ,वर्षा बंडवाल

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स्कूल के अध्यापक हैं प्रेणा के श्रोत –

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प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्षा बंडवाल वर्तमान में BA प्रथम वर्ष की छात्रा है। वर्षा के अनुसार जब वे कक्षा -6 में पढ़ती थी, तब ढोल वादन शुरू कर दिया था। गावं, क्षेत्र में जब कोई कार्यक्रम होता था तो वो ढोल की ताल बड़ी गहराई से सुनती थी। वर्षा ने जब पहली बार ढोल वादन किया तो, उसकी उंगलिया स्वतः ही ढोल पर ताल देने लगी। वह अपने इस कार्य के पीछे अपने विद्यालयी अध्यापक श्री रोशन सिंह को मानती है। वर्षा कहती है, हमारे गुरूजी श्री रोशन सिंह ने मुझे निरंतर ढोल वादन के लिए प्रेरित किया है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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