Monday, March 31, 2025
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शिव के मन माहि बसे काशी (Shiv Ke Man Mahi Base Kashi) | कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) लिरिक्स

मार्च का महीना शुरू होते ही उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ों में बसंत की बयार चलने लगती है, और खासतौर पर कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) का रंग पूरे क्षेत्र में बिखरने लगता है। यह पर्व बसंत पंचमी से ही बैठक होली (Baithak Holi) के रूप में प्रारंभ होता है, और होली एकादशी से खड़ी होली (Khadi Holi) की रौनक अपने चरम पर पहुंचती है।

कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) भारत की सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक होलियों में से एक मानी जाती है, जिसमें लोक भाषा और ब्रज भाषा  का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। इस पर्व में कई भक्ति एवं श्रृंगार रस से भरपूर गीत गाए जाते हैं, जिनमें भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही लोकप्रिय होली गीत है –

शिव के मन माहि बसे काशी (Shiv Ke Man Mahi Base Kashi) –

यह गीत विशेष रूप से महाशिवरात्रि और होली चतुर्दशी  के अवसर पर शिवालयों में गाया जाता है –

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शिव के मन माही बसे काशी – (2 बार)
आधी काशी में बामन बनिया,
आधी काशी में सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी 

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काही करन को बामन बनिया,
काही करन को सन्यासी।
शिव के मन माही बसे काशी। 

पूजा करन को बामन बनिया,
सेवा करन को सन्यासी,
शिव के मन माही बसे काशी।

काही को पूजे बामन बनिया,
काही को पूजे सन्यासी।
शिव के मनमाही बसे काशी।

देवी को पूजे बामन बनिया,
शिव को पूजे सन्यासी,
शिव के मन माहि बसे काशी। 

क्या इच्छा पूजे बामन बनिया,
क्या इच्छा पूजे सन्यासी,
शिव के मनमाही बसे काशी

नव सिद्धि पूजे बामन बनिया,
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी।
शिव के मन माहि बसे काशी। 

इस कुमाऊनी होली गीत का भावार्थ (Meaning of This Kumaoni Holi Song) –

यह कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) गीत भगवान शिव  की भक्ति को प्रकट करता है। इसके बोलों में यह बताया गया है कि भगवान शिव के हृदय में काशी का वास है।

गीत में आधी काशी में ब्राह्मण और बनिया रहते हैं, जबकि आधी काशी में सन्यासी  रहते हैं। इस गीत में प्रश्न और उत्तर के रूप में एक संवाद है –

🔹 ब्राह्मण और बनिया क्या करते हैं?
🔹 वे पूजा करते हैं।
🔹 सन्यासी क्या करते हैं?
🔹 वे भगवान की सेवा करते हैं।

इस होली गीत (Holi Geet) में भगवान शिव की भक्ति से जुड़े मधुर संवादों को संजोया गया है, जो भजन की तरह गाया जाता है।

कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) की विशेषता –

  • संस्कृति और परंपरा – यह गीत उत्तराखंड (Uttarakhand) की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है
  • भक्ति भावना– भगवान शिव  की महिमा और उनकी प्रिय नगरी काशी  का उल्लेख मिलता है।
  • संगीत और संवाद – इस गीत में भक्तों के बीच संवादात्मक शैली में भक्ति प्रकट की गई है।

अगर आप भी कुमाऊनी होली (Kumaoni Holi) के इन भक्तिमय गीतों का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसे जरूर सुनें और इस सांस्कृतिक धरोहर (Cultural Heritage) को संजोएं!

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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