Table of Contents
उत्तराखंड के पंच बद्री –
पंच केदार की तरह है पंच बद्री भी है जहाँ भगवान विष्णु अलग -अलग रूप मे विराजते हैं ।और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। पंचबद्री उत्तराखंड में स्थित, पंच बद्री बद्रीनाथ धाम की तरह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
बद्रीनाथ धाम पंच बद्री में से ही एक है पंच बद्री मंदिरों की यह विशेषता है कि, इनमें विष्णु भगवान के अलग-अलग रूपों की मूर्ति स्थापित है।यह पांचो मंदिर बद्रीनाथ धाम के क्षेत्र से लेकर नंदप्रयाग के बीच में स्थित है पंच बद्री में बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री का नाम आता हैै।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ मंदिर का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है । यह माना जाता है कि यहां स्थित वर्तमान मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी । इस मंदिर का ढांचा कई बार भूकंप की वजह से टूटा है लेकिन इसका जीर्णोद्धार होता रहा है।
बद्रीनाथ धाम को विष्णु भगवान का बैकुंठ भी कहा जाता है।यह मंदिर हिमालय पर्वत की रेंज में नर और नारायण पहाड़ियों के बीच में 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु ने नर और नारायण के अवतार के रूप में तपस्या की थी। बद्रीनाथ भारत में स्थित आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धाम मंदिरों में से एक है ।यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है।
योग ध्यान बद्री –
यह मंदिर चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे गोविंद घाट के पास स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1920 मीटर है। यह जिस स्थान पर स्थित है उसे पांडुकेश्वर कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों का जन्म हुआ था ,और यहां पर जो मूर्ति स्थापित है उसकी स्थापना पांडवों के पिता पांडू ने की थी।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां विष्णु भगवान की जो मूर्ति स्थापित है उसमें वह ध्यान मुद्रा में दिखाई देते हैं इसीलिए इस मंदिर को योग ध्यान बद्री के रूप में जाना जाता है।
इसे भी जाने:– बद्रीनाथ धाम पर निबंध लेख
भविष्य बद्री –
भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ के पास सुभाई गांव में स्थित है, यह मंदिर 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था| यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है, यहाँ भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा होती है।
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जोशीमठ से सलधर नामक जगह तक जाना पड़ता है, जोशीमठ से सलधर की दूरी 11 किलोमीटर है, यह दूरी बस या गाड़ियों द्वारा तय की जाती है, यहाँ से फिर 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को पैदल पहाड़ों की सीधी चढ़ाई करनी पड़ती है।
वृद्ध बद्री –
वृद्ध बद्री मंदिर जोशीमठ से 7 किलो दूरी पर अनिमथ गांव में स्थित है यहां भगवान विष्णु की पूजा एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में की जाती है।भगवान विष्णु के समृद्ध रूप की एक कथा प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे यह मंदिर पूरे साल खुला रहता हैै।
आदिबद्री-
यह मंदिर पंडाल और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है, यह चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर के लिए यह कथा प्रचलित है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब उन्होंने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था| पहले यहां 16 मंदिर थे जिनमें से 2 मंदिर अब नष्ट हो चुके हैं। और 14 मंदिर बचे हुए हैं ।
इनमें से मुख्य मंदिर भगवान विष्णु का है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है जो कि काले रंग के पत्थर से बनी हुई है, यहां स्थापित मंदिरों की शैली कत्यूरी शैली है जिसका निर्माण बाद में करवाया गया था।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।