पिथौरागढ़: विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत, जो कभी बर्फ की चादर ओढ़े एक खूबसूरत दृश्य प्रस्तुत करता था, आजकल काला पहाड़ जैसा दिख रहा है। एक दशक पहले तक वर्ष भर बर्फ से लकदक रहने वाला यह पर्वत अब जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण अपनी पहचान खो रहा है। बर्फ पिघलने से गायब हुआ ॐ। ओम पर्वत अपनी विशिष्ट आकृति के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है, जो बर्फ से ढके होने पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता था। लेकिन अब बर्फ पिघलने के कारण यह ॐ आकृति धुंधली हो गई है और पर्वत काला पहाड़ जैसा दिखने लगा है।
पर्यावरणविद और स्थानीय लोग इस बदलाव के लिए वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को जिम्मेदार मान रहे हैं। बढ़ती गर्मी, बदलते मौसम और वाहनों से होने वाले प्रदूषण के कारण बर्फबारी में भारी कमी आई है। विशेष रूप से, ब्लैक कार्बन बर्फ को तेजी से पिघला रहा है। माउंट एवरेस्ट विजेता योगेश गर्ब्याल का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का असर हमारे उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने पहाड़, पर्यावरण, वनस्पति और ग्लेशियर्स को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की है।
स्थानीय लोगों की आवाज: पिछले दिनों अपने गांव गुंजी गईं उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने ओम पर्वत पर बर्फ न देखकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सरकार से विशेषज्ञों की टीम भेजकर दारमा और व्यास घाटी में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर शोध करने और बचाव के उपाय खोजने की मांग की है।
क्या हैं चुनौतियां:
जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान और अनियमित मौसम बर्फ पिघलने का मुख्य कारण है।
मानवीय गतिविधियां: निर्माण कार्य, पर्यटन और प्रदूषण भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं।
ब्लैक कार्बन: वाहनों और अन्य स्रोतों से निकलने वाला ब्लैक कार्बन बर्फ को तेजी से पिघला रहा है।
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आगे का रास्ता:
शोध और अध्ययन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विस्तृत अध्ययन करना जरूरी है।
बचाव के उपाय: बर्फ पिघलने को रोकने के लिए प्रभावी उपाय खोजने होंगे।
जागरूकता: लोगों को जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा।
सामूहिक प्रयास: सरकार, स्थानीय लोग और संगठन मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए काम करें।
ओम पर्वत से गायब होता ॐ सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती की ओर इशारा करता है। हमें इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कदम उठाने होंगे, अन्यथा हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को हमेशा के लिए खो सकते हैं।