उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के तिलवाड़ा सौराखाल रोड पर तिलवाड़ा से लगभग 29 किलोमीटर दूर माता का प्रसिद्ध सिद्धपीठ मठियाणा देवी मंदिर स्थित है। कहा जाता है,कि यह वर्तमान में जाग्रत महाकाली शक्तिपीठ है।

मठियाणा माता के बारे में एक लोक कथा प्रचलित है,जिसके अनुसार कई वर्ष पहले मठियाणा देवी भी एक साधारण कन्या थी। उनकी दो माताएं थी । वह बांगर पट्टी के श्रावणी गावँ में रहती थी। उनकी माताओं की आपस मे नही बनती थी। दोनो माताएं अलग अलग रहती थी। उनकी सौतेली माँ गावँ वाले घर मे रहती थी ।और उनकी माँ डांडा मरणा में रहती है। यह कन्या जैसे ही बड़ी हुई तो , घरवालों ने उसकी शादी करवा दी। विवाह के पश्चात यह कन्या एक दिन अपने मायके, गांव वाले घर में आई । वहाँ उसकी सौतेली माँ रहती थी। उसकी सौतेली माँ ने उसको बहला फुसला कर अपनी माँ से मिलने डांडा -मरणा गावँ भेज दिया और उसके पति को गावँ में रोक लिया। उसकी सौतेली माँ ने उस कन्या के पति को भोजन में जहर देकर मार दिया और लाश को एक संदूक में बंदकरके गायों के गौशाले में रख दिया। (Mathiyana devi story in hindi )
जब वो लड़की अपनी मा से मिलकर वापस आई ,उसे वहां पता चला कि उसकी सौतेली माँ ने उसके पति को मार दिया। तब वह लड़की अपने होश खो बैठी ,और क्रोध के आवेश में आकर उसने रात के 12 बजे अपनी सौतेली माँ के घर को जला दिया और अपने पति की मृत देह को बक्से से निकाल कर ,सूर्यप्रयाग में बहने वाली नदी के पास ले आई। जब गावँ वाले उसके पति का अंतिम संस्कार करने लगे,तो वह सती होने के लिए चिता में जाने लगी तो, अचानक वहाँ लाटा बाबा आ गए। उन्होंने उस कन्या को अपने आप को पहचानने और अपनी शक्तियों को जाग्रत करने के लिए कहा । इसके बाद ये देवी के रूप में स्थापित होकर देवी के रूप में पूजी जाने लगी।

यहाँ पर लोग कहते हैं,कि इनको सती होने के बाद इनको देवी के रूप में पूजा गया।
इस क्षेत्र में मठियाणा देवी के बारे कई कथाएं और किंदविंदियाँ प्रसिद्ध है। लोग कहते हैं, कि देवी उन्हें कई रूपों में दिखाई देती है। रात को आने जाने वालों का मार्गदर्शन करती है। तथा, डरे हुए लोंगो को उनके नियत स्थान तक छोड़ कर भी आती है। ससुराल से परेशान भागी हुई लड़कियों की मदद करती है,और उनको उचित स्थान तक छोड़ कर आती है। (Mathiyana devi story in hindi ) मठियाणा देवी का यह मंदिर भद्रकाली सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां रोज भक्तों का तांता लगा रहता है। साल के दो नवरात्रों ( ग्रीष्म एवं शीत) में यहां माँ कि विशेष पूजा अर्चना होती है। यहां 6 से 12 वर्ष के अंतराल में अखंड यज्ञ का आयोजन भी होता है। और प्रति 3 वर्ष में माता की जागर का आयोजन भी होता है।
रुद्रप्रयाग की रमणीय ,नैसर्गिक सुंदरता के बीच बसा ,माँ भद्रकाली का यह शक्तिपीठ भक्तों के लिये विशेष आस्था का केंद्र है।
मठियाणा देवी मंदिर कैसे पहुचें –
मठियाना देवी माँ के मंदिर जाने के लिए सर्वोत्तम आपको रुद्रप्रयाग पहुचना होगा। यहाँ से तिलवाड़ा सौरखाल रोड पर वाहन से 25 किलोमीटर की दूरी भरदार पट्टी के अंतर्गत तिलवाड़ा से तय करने के बाद ,4 किलोमीटर पैदल चलने के बाद माँ मठियाणा देवी के दर्शन होते हैं।
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संदर्भ – मंगत राम धस्माना जी द्वारा रचित पुस्तक, उत्तराखंड के सिद्धपीठ
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( Mathiyana devi story in hindi )