Sunday, April 21, 2024
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Kumaon Mastiff – विलुप्ति के द्वार पर खड़ा कुमाऊनी लोगों का वफादार साथी।

कुमाऊँ मस्टिफ (Kumaon Mastiff) एक दुर्लभ कुत्तों की प्रजाती है। इस नस्ल की उत्पत्ती भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊ मंडल मे मानी जाती है। इसलिए इस प्रजाती का नाम Kumaon mastiff है। इस प्रजाती को साइप्रो कुकुर के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें सर्वप्रथम कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों में रखवाली के लिए पाला गया था। एक पुराने अध्ययन के अनुसार भारत में अब केवल 150 से 200 कुमाऊँ मस्टिफ प्रजाती के कुत्ते बचे हैं। यह अध्ययन पुराना है वर्तमान में इनकी संख्या और कम हो गई होगी ।असाधारण रूप से शक्तिशाली ये कुत्ते अत्यंत परिश्रमी और वफादार होते हैं। इनकी विलुप्ती का मुख्य कारण है, लोगों का विदेशी नस्लों के प्रति अधिक झुकाव होना और स्वदेशी नस्लों के प्रति अज्ञानता है।

कुमाऊं मस्टिफ की शारिरिक रचना-

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इनका ताकतवर पतला मांसल शरीर होता है। इनका सिर बड़ा और चौड़ा होता है । इनके बदाम जैसी आँखे, गहरा थूथन और लटकते हुए कान होते हैं। पूंछ लम्बी होती है और गर्दन के आस पास त्वचा ढीली होती है।

Kumaon mastiff के बारे में सामान्य जानकारी:

  1. जन्मस्थान – भारत
  2. दूसरा नाम – साइप्रो कुकुर (Cypro Kukur)
  3. औसत आयु-10 से 12 साल लगभग
  4. नस्ल के प्रकार – रखवाली कुत्तों के समूह
  5. आकार- बड़े आकार के कुत्तों की नस्ल
  6. कुमाऊं मस्टिक की ऊंचाई लगभग 27 से 30 इंच होती है।
  7. इस प्रजाती के कुत्तों का औसत भार लगभग 150 से 180 पाऊंड के बीच होता
  8. Kumaon mastiff नस्ल के कुत्ते आक्रमक स्वभाव के होते हैं, इन्हे प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  9. ये मुख्यतः कॉले, सफेद और चितकबरे रंग के होते हैं।
  10. इन्हें एक दिन में लगभग 6 प्लेट भोजन चाहिए होता है।
  11. एक मादा कुमाऊँ मस्टिफ एक बार में 2 -5 बच्चों को जन्म देती है।
  12. इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है।
Kumaon Mastiff
Image source -https://youtu.be/J9oy4NLx-oU

कुमाऊं मास्टिफ का इतिहास

कहा जाता है, कि इस दुर्लभ कुत्ते की नस्ल की उत्पत्ति हिमालची भू-भाग के कुमाऊं क्षेत्र में हुई। जहा यह स्थानीय (कुमाऊनी) लोगों द्वारा पाला गया। कुछ विद्वानों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में आने से पहले इस कुत्ते की उत्पत्ती साइप्रस में हुई। इसलिए Kumaon Mastiff को साइप्रो कुकुर भी कहते हैं। कहते हैं आज से लगभग 300 ई० पूर्व कुमाऊं मस्टिफ नस्ल का कुत्ता सिकन्दर के साथ आया था। आज कुमाऊं मस्टिफ नस्ल के कुत्ते केवल कुमाऊ के पहाड़ो तक ही सिमट कर रह गए हैं। साहसिक, ताकतवर और वफादारी में अव्वल कुत्ते की यह नस्ल अपने  अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है।

स्वभाव –

ये कुत्ते आक्रमक नस्ल के माने जाते हैं। जिन्हें कभी-कभी संभालना मुश्किल हो सकता है। इसलिए कुमाऊं मस्टिफ नस्ल के कुत्तों को कम उम्र से कठोर प्रशिक्षण और समाजिकरण की आवश्यकता पड़ती है। एक अच्छा प्रशिक्षण मिलने के बाद यह कुत्ता सौम्य और घरेलू वातावरण में रहने लायक बन सकता है। कम उम्र में इस नस्ल के कुत्तों का पालकर कठोर प्रशिक्षण से इन्हें पालतू बनाया जा सकता है। ये कुत्ते वफादार साथी होते हैं। और इनमें सुरक्षा की अच्छी भावना होती है।

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कुमाऊं मस्टिफ की कीमत-

कुमाऊं मस्टिफ एक दुर्लभ किस्म की नस्ल का कुत्ता है। इनकी वर्तमान संख्या बहुत कम है ।इसलिए Kumaon mastiff का price तय करना बहुत कठिन है। हिमालयी भू-भाग के कुमाऊं क्षेत्र के बाहर  इसको ढूंढ़ना मुश्किल हो सकता है। यदि आप इस दुलभ नस्ल के कुत्ते को पालना चाहते हैं, तो आपको कुमाऊं मंडल की यात्रा करनी पड़ेगी । एक अनुमान के अनुसार इसकी कीमत 5 हजार से 20 हजार तक आंकी गई है। बाकी कुत्ते की वर्तमान स्थित देखकर उसकी वास्तिविक कीमत तय की जा सकती है।

Image source _ https://youtu.be/J9oy4NLx-oU

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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