Friday, April 11, 2025
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पहाड़ी को पहाड़ की याद दिलाता है, कंचन जदली का लाटी आर्ट | Kanchan jadli Lati art

“सोशल मीडिया पर उत्तराखंड वासियों को अपने पहाड़ से जोड़ने की अनोखी कोशिश है , कंचन जदली का लाटी आर्ट”

“होगा टाटा नामक देश का नमक, पहाड़ियों का नमक तो पिसयू लूण है ” इस गुदगुदाती पंचलाइन के साथ एक प्यारी सी पहाड़न कार्टून चरित्र को नमक पिसते हुए दिखाया गया है। और इस प्यारे से संदेश को देख कर गर्व और प्रेम के मिश्रित भाव एक साथ हिलोरे मारते हैं। और अपनी संस्कृति के लिए मन मे प्रेम उमडता है।

कंचन जदली
फ़ोटो क्रेडिट – लाटी आर्ट

इसी प्रकार अपने पहाड़ी कार्टून चित्रों और गुदगुदाती पंचलाइन से पहाड़ी को पहाड़ से जोड़ने की कोशिश कर रही है,उत्तराखंड की कंचन जदली।

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कंचन जदली उत्तराखंड के पौड़ी जिले के लैंड्सडॉन की रहने वाली है। कंचन की आरम्भिक शिक्षा कोटद्वार में हुई  है। कंचन को बचपन से ही कला का शौक था। वह बचपन से ही कलाकार बनाना चाहती थी। 11 वी और 12 वी कला विषय से करने के बाद , कंचन जदली ने  “फ़ाईन आर्ट्स ” विषय मे,  चंडीगढ़ के  “गवर्मेंट कालेज ऑफ आर्ट्स ” से  स्नातक और परस्नातक की पढ़ाई पूरी की।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद , दो  तीन साल कंचन ने चंडीगढ़ और दिल्ली में आर्ट्स के क्षेत्र में कार्य शुरू किया। मेट्रो शहरों का अशांत जीवन शैली और अपनी देवभूमि उत्तराखंड के लिए कुछ करने की इच्छा दिल मे रख वो वापस अपने पहाड़ आ गई।

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उत्तराखंड आकर कंचन जदली ने अपने डिजिटल आर्ट के माध्य्म से उत्तराखंड के प्रवासियों को पहाड़ से जोड़ने का काम शुरू कर दिया।  इसके लिए उन्होंने बनाई पहाड़ी कार्टून कैरेक्टर लाटी। और अपने आर्ट को नाम दिया  लाटी आर्ट  हम सभी आजकल सोशल मीडिया पर देख ही रहे हैं, उत्तराखंड के जितने भी आजकल कार्टून मिम्स दिख रहे हैं, उनमे एक सिग्नेचर होता है लाटी आर्ट ।

उसी लाटी आर्ट को बनाती है, कंचन जदली।अपने प्रोजेक्ट का नाम लाटी आर्ट रखने के पीछे का कारण बताती है कि, लाटी का अर्थ पहाड़ में होता है एक प्यारी सीधी नादान लड़कीं। या एक मासूम लड़कीं। कंचन के अनुसार लाटी आर्ट के माध्य्म से हर एक पहाड़ी के मन मे अपने पहाड़ के लिए प्यार जगाना तथा उनको अपनी बोली भाषा से जोड़े रखना चाहती है। कंचन को अपने पहाड़ से बहुत प्यार है। और उसे वो अपनी कला के माध्यम से दर्शा भी रही है।

कंचन जदली के लाटी आर्ट को उत्तराखंड पर्यटन विभाग (Uttarakhand Tourism )  ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से (Official Facebook page of Uttarakhand Tourism )  से शेयर किया गया और सराहा गया हैं।

अभी तक कंचन जदली  100 से अधिक लाटी सीरीज के कार्टून बना चुकी है। अमूल के कार्टून और पंजाब के सांता बंता कार्टून की तर्ज पर कंचन ने ठेठ पहाड़ी चरित्र लाटी को तराशा है। उत्तराखंड के नाते घटनाक्रम तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं त्योहारों के आधार पर अपने चरित्र लाटी को तराशती हैं।

अब वह छोटे अनिमिशन वीडियो क्लिप भी बनाती है। इसी सीरीज का मकरैणी ,की  घुगते बाँटते हुई लाटी जबरदस्त हिट रही।

कंचन जदली
फ़ोटो क्रेडिट – लाटी आर्ट

कंचन ने अभी तक डिजिटल आईपैड के इस्तेमाल से गौरा देवी, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भरतवाण, पवनदीप राजन तथा अनेक फेमस हस्तियों के स्केच बना चुकी है। कंचन जदली अपने कार्टून कैरेक्टर को मग पर प्रिंट करके ऑफ़लाइन भी घर घर पहुचाने का काम कर रही है।

वास्तव में कंचन जदली अपनी अनूठी कला से उत्तराखंड की संस्कृति को एक सराहनीय योगदान दे रही है। उनके कार्टून मिम्स और पंचलाइन ,वर्तमान के आधुनिक शिक्षित युववर्ग को अपनी संस्कृति अपनी जड़ों से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

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कंचन जदली से सोशल मीडिया ऑनलाइन जुड़े –

कंचन से इंस्टाग्राम जुड़ने के लिए इस लिंक द्वारा जाए –

https://instagram.com/lati.art_?igshid=oltfq8z92fuh

कंचन से ट्विटर पर जुड़ने के लिए इस लिंक द्वारा जाए –

https://twitter.com/art_lati?s=09

फ़ोटो सभार :- कंचन जदली सोशल मीडिया ।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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