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उत्तराखंड के जंगलों में आग: कारण, नुकसान और उत्तराखंड पर प्रभाव

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जंगलों में आग लगना एक गंभीर समस्या है जो हर साल उत्तराखंड के हजारों हेक्टेयर जंगलों को नष्ट कर देती है। यह न केवल वनस्पतियों और जंगली जानवरो को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और मिट्टी के क्षरण को भी बढ़ता हैं। और साथ ही मानव जीवन और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कारण:

  • मानवीय गतिविधियाँ: जंगलों में आग लगने का सबसे आम कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं। अक्सर लोग अपने आसपास के जंगलो में जानबूझ कर आगा लगा देते हैं। जंगली में सूझे पत्ते झाडिया ज्यादा मात्रा में न एकठी ना हो जाये इसलिए वह टाइम टाइम पर उनको जलने के लिए आगा लगा देते हैं। उनका मानना है की वो लोग अगर टाइम टाइम पर आगा लगाके सूखे पत्ते और झाड़ियों को नहीं जलायेंगे तो बाद में प्राकृतिक या गलती से बढ़ी आगा लग सकती है। इसलिए वो लोग टाइम तो टाइम जंगलो में आगा लगा देते है। लोगों द्वारा लापरवाही से सिगरेट फेंकना, आग जलाना, और जंगलों में खाना बनाना आग लगने के प्रमुख कारण हैं।
  • प्राकृतिक कारण: प्राकृतिक कारणों से भी जंगलों में आग लग सकती है। बिजली गिरना और सूखा प्राकृतिक कारणों में शामिल हैं।
  • जंगलों का प्रबंधन: जंगलों का उचित प्रबंधन न होने से भी आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। घने जंगलों में सूखे पत्तों और लकड़ी का ढेर जमा हो जाता है, जो आग लगने का कारण बन सकता है।

जंगलों में आग लगने से होने वाले नुकसान:

जंगलों का विनाश: आग लाखों हेक्टेयर जंगलों को नष्ट कर सकती है, जिससे पेड़, पौधे, और जीव-जंतु जलकर खाक हो जाते हैं।
जैव विविधता का नुकसान: आग से कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं, जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान होता है।
मिट्टी का क्षरण: आग मिट्टी की ऊपरी परत को जला देती है, जिससे मिट्टी का क्षरण होता है और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण: आग से निकलने वाला धुआं और जहरीली गैसें वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
जलवायु परिवर्तन: जंगलों में आग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है।
आर्थिक नुकसान: जंगलों में आग से लकड़ी, फल, और अन्य वन उत्पादों का नुकसान होता है, जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है।

जंगलों में आग कारण, नुकसान और उत्तराखंड पर प्रभाव

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने का प्रभाव:

उत्तराखंड भारत के उन राज्यों में से एक है जहां जंगलों में आग लगने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। 2023 में, उत्तराखंड में 1000 से अधिक जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुईं, जिससे 5000 हेक्टेयर से अधिक जंगल नष्ट हो गए।
इन आगों से कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं, और कई लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा है। उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने से वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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आग से बचाव के उपाय:

  1. जंगलों में आग न लगाएं: लोगो को जंगलो में जानबूझकर आग नहीं लगनी चाहिए। जंगलों में आग लगाना एक अपराध है। यदि आप जंगलों में आग देखते हैं, तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें।
  2. सिगरेट को ठीक से बुझाएं: ऐसा देखा गया है की कई बार लोग जंगलों में सिगरेट बिना बुझाए फैक देते हैं। जिसे आग लग जाती हैं। तो सिगरेट को पूरी तरह से बुझाकर फेंकें।
  3. जंगलों में खाना बनाते समय सावधानी बरतें: आजकल लोग आउटडोर कुकिंग के लिए अपने आसपास के जंगलो में जाते हैं। वहा खाना बनाते हैं और आगा को सही से बिना बुझाये चले जाते हैं। जिससे कई बार जंगल में आग लग जाती हैं। तो जंगलों में खाना बनाते समय आग को नियंत्रण में रखें।
  4. जंगलों में बच्चों को अकेले न जाने दें: अक्सर देखा गया हैं की बच्चे खेल खेल में जंगलो में आग लगा देते हैं। तो बच्चों को जंगलों में आग लगने के खतरों के बारे में शिक्षित करें।

जंगलों में आग लगने की घटनाएं एक गंभीर समस्या है, जिसके लिए तत्काल समाधान की आवश्यकता है। हमें जंगलों में आग लगने के कारणों को समझना होगा और उन्हें रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने होंगे। हमें जंगलों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलानी होगी और लोगों को जंगलों के महत्व के बारे में शिक्षित करना होगा।

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