Monday, March 31, 2025
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दुर्गे मैया वे भजन लिरिक्स : नवरात्रि का पवित्र उत्तराखंडी भजन | खुशी जोशी भजन लिरिक्स

दुर्गे मैया वे – नवरात्रि एक ऐसा पवित्र त्योहार है जो माता दुर्गा की भक्ति और शक्ति को समर्पित है। उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के पहाड़ों में बसे मंदिर और माता के भजन इस क्षेत्र की आध्यात्मिकता को और भी गहरा करते हैं। “दुर्गे मैया वे… नौ दिन नवराता तेरी जोत जली रे” एक ऐसा ही लोकप्रिय उत्तराखंडी भजन है, जो माता के विभिन्न रूपों और उनके तीर्थ स्थानों की महिमा का गुणगान करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस भजन के बोल (lyrics) और इसके सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से देखेंगे।

दुर्गे मैया वे – भजन के बोल (durge maiya ve lyrics in hindi)

यह भजन खूशी जोशी (Khushi Joshi) द्वारा गाया, लिखा और संगीतबद्ध किया गया है। इसे 1 अक्टूबर 2022 को खूशी जोशी ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया था। नीचे इस भजन के पूरे बोल दिए गए हैं:

शुरूआती पंक्तियाँ –

दुर्गे मैया वे… नौ दिन नवराता तेरी जोत जली रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।
जोत जली रे… मैया भली लागि रे…
जोत जली रे… मैया भली लागि रे…
मेरी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।

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कोरस-

कोरस – सुरसुरु जूलो मै माँ को भवना…
माठु – माठु जूलो मै माँ को भवना…

माता के विभिन्न रूप और स्थान

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1. वैष्णो देवी – जम्मू
जम्मू जैबेर मैया वैष्णो रूप धारी।
जम्मू जैबेर मैया वैष्णो रूप धारी।
वैष्णो रूप धारी मैया सारा जग तारी…
वैष्णो मैया वे… जय माता दी जय माता दी जयकार लागि रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।

2. मनसा देवी – हरिद्वार
हरिद्वार जैबे मैया मनसा रूप धारो।
मनसा रूप धारो मैया सारा जग तारो।
हा… मनसा मैया वे, गंगा का किनारा त्यारा द्वार सजी रो।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।

3. नंदा देवी – अल्मोड़ा

अल्मोड़ा जैबेर मैया नंदा रूप धारो।
नंदा रूप धारो मैया सार पहाड़ तारो।
नंदा मैया वे… पहाड़ों का डाना त्यारा थान सजी रे।
सुनंदा मैया वे… नौ दिन नौ रात तेरी जोत जली रे।

4. नैना देवी – नैनीताल 

नैनीताल जैबेर मैया नैना रूप धारो।
नैना रूप धारो मैया सार पहाड़ तारो।
मेरी नैना मैया वे पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौराते तेरी जोत जली रे।

5. कोटगाड़ी देवी – पांखू

पांखू जैबेर कोटगाड़ी रूप धारो।
कोटगाड़ी रूप धारो, मैया सार पहाड़ तारो।
कोटगाड़ी मैया रे पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

6. महाकाली – गंगोलीहाट

गंगोलीहाट जैबे काली रूप धारो।
महाकाली रूप धारो मैया सारा जग तारो।
मेरी काली मैया रे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
महाकाली मैया रे… नौ दिन नौ राता तेरी जोत जली रे।

7. गर्जिया देवी – रामनगर

रामनगर जैबे मैया गर्जिया रूप धारो।
गर्जिया रूप धारो मैया उत्तराखंड तारो।
मेरी गर्जिया मैया रे, पहाड़ों का डाना तेरा थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

8. पूर्णा देवी – टनकपुर
टनकपुर जैबे मैया पूर्णा रूप धारो।
पूर्णा रूप धारो मैया, सार पहाड़ तारो।
पूर्णा मैया रे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

9. वाराही देवी – देवीधुरा
देवीधुरा जैबेर वाराही रूप धारो।
वाराही रूप धारो मैया सारा जग तारो।
वाराही मैया रे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

10. झूला देवी – रानीखेत
रानीखेत जैबेर मैया झूला रूप धारो।
झूला रूप धारो मैया, सारा जग तारो।
ओ मेरी झूला मैया वे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

11. गुरना देवी – पिथौरागढ़
पिथौरागढ़ जैबे मैया गुरना रूप धारो।
गुरना रूप धारो मैया सोरयालों कई तारो।
ओ मेरी गुरना मैया वे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

12. दूना देवी – द्वारहाट
द्वारहाट जैबेर मैया दूना रूप धारो।
दूना रूप धारो मैया दोरयालों को तारो।
ओ मेरी दूना मैया वे, पहाड़ों का डाना तेरी थान सजी रे।
भवानी मैया रे… नौ दिन नौ राते तेरी जोत जली रे।

भजन का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व –

नवरात्रि और माता की जोत –

नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान उत्तराखंड के मंदिरों में माता की जोत जलाई जाती है, जो भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है। यह भजन “नौ दिन नवराता तेरी जोत जली रे” के माध्यम से इसी परंपरा को दर्शाता है।

 उत्तराखंड की देवभूमि –

उत्तराखंड में माता के कई रूप पूजे जाते हैं, और यह भजन इन विभिन्न रूपों और उनके तीर्थ स्थानों का वर्णन करता है। हरिद्वार से लेकर पिथौरागढ़ तक, हर स्थान की अपनी विशेषता और माता का अनूठा रूप है। यह भजन न केवल माता की स्तुति करता है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करता है।

 संगीत और शैली

इस भजन में कोरस (“सुरसुरु जूलो मै माँ को भवना”) और माठु (“माठु जूलो मै माँ को भवना”) का प्रयोग उत्तराखंडी संगीत की पारंपरिक शैली को दर्शाता है। यह लयबद्ध संरचना भजन को और भी आकर्षक बनाती है।

दुर्गे मैया वे भजन की जानकारी –

  • गायिका : खूशी जोशी (Khushi Joshi)
  • संगीतकार: खूशी जोशी
  • गीतकार : खूशी जोशी
  • प्रकाशक: गोविंद दिगारी (Govind Digari)
  • रिलीज तिथि : 1 अक्टूबर 2022
  • यूट्यूब चैनल : Khushi Joshi Official

निष्कर्ष –

“दुर्गे मैया वे… नौ दिन नवराता तेरी जोत जली रे” एक ऐसा भजन है जो माता दुर्गा की महिमा और उत्तराखंड की आध्यात्मिकता को संगीत के माध्यम से व्यक्त करता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर यह भजन भक्तों के बीच भक्ति और उत्साह का संचार करता है। अगर आप भी माता के इस भजन को सुनना चाहते हैं, तो इसे यूट्यूब पर खूशी जोशी के ऑफिशियल चैनल पर देख सकते हैं। या यहाँ पर भी देख सकते हैं –

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ख़ुशी जोशी ऑफिशल चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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