भीमताल: दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब और मुंबई से आए लोगों के लिए उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में जमीन खरीदना महंगा साबित हो रहा है। धारी एसडीएम कोर्ट ने 56 ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है जिन्होंने जमीन खरीदने के बाद शर्तों का उल्लंघन किया है। इन लोगों की भूमि को अब सरकार के नाम निहित करने की कार्रवाई की जाएगी।
धारी एसडीएम केएन गोस्वामी ने बताया कि तहसील क्षेत्र में बाहरी लोगों ने न्यूनतम 2 नाली से लेकर अधिकतम 3 हेक्टेयर तक भूमि खरीदी है। उन्होंने बताया कि तहसील में 70 मामलों की जांच की गई थी, जिनमें से 56 मामलों में भू-कानून का उल्लंघन और ली गई अनुमति के तहत जमीन पर काम नहीं करने के साक्ष्य मिले हैं। कुछ परिवारों ने तो परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से भी जमीनें खरीदी थीं।
एसडीएम ने बताया कि बाहरी लोगों ने धारी, धानाचूली, मुक्तेश्वर, पदमपुरी, चौखुटा, कसियालेख, भटेलिया समेत अन्य जगहों पर जमीनें खरीदी हैं। उन्होंने कहा कि अन्य मामलों की जांच अभी भी जारी है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
क्यों हो रही है कार्रवाई?
उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि खरीद पर कई प्रतिबंध हैं। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करना और पर्यावरण को बचाना है। भू-कानून के उल्लंघन से स्थानीय लोगों के लिए जमीन की उपलब्धता कम हो जाती है और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
यह खबर उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन खरीदना चाहते हैं। उन्हें भू-कानूनों का पालन करना होगा और ली गई अनुमति के तहत ही जमीन का उपयोग करना होगा। अन्यथा, उन्हें अपनी जमीन गंवानी पड़ सकती है।
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