Wednesday, January 8, 2025
Homeसंस्कृतिभारत गान जागर : कुमाऊं मंडल की सांस्कृतिक धरोहर !

भारत गान जागर : कुमाऊं मंडल की सांस्कृतिक धरोहर !

कुमाऊं मंडल की सांस्कृतिक परंपराओं में भारत गान जागर या  ‘भारत गाथा’ या ‘महाभारत जागर’ का विशेष स्थान है। इस परंपरा का आयोजन मुख्य रूप से कुमाऊं के पूर्वोत्तरी क्षेत्रों में किया जाता है, जहां महाभारत की कथा को स्थानीय लोकधुनों और पारंपरिक गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

भारत गाथा ,या भारत गान आयोजन का स्वरूप :

‘भारत गाथा’ का आयोजन प्रायः देवी-देवताओं के मंदिरों के प्रांगण में होता है। यह आयोजन नौ दिनों से लेकर 22 दिनों तक चलता है। जिन देवताओं की अपनी कोई विशिष्ट जागर गाथा नहीं होती, वहां पर ‘भारत गाथा’ का आयोजन किया जाता है।

इसमें मुख्य भूमिका ‘जगरिया’ की होती है, जो महाभारत की गाथा को ढोल या मुरय (पारंपरिक वाद्ययंत्र) की संगत में गाता है। ‘जगरिया’ के साथ 2-3 ‘भगार’ भी होते हैं, जो गाए गए शब्दों को विशिष्ट सुर और ताल में दोहराते हैं। यह आयोजन सामूहिकता और सांस्कृतिक एकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

भारत गान

महाभारत से परे: स्थानीय रंग

Best Taxi Services in haldwani

‘भारत गाथा’ महाभारत की मूल कथा का ही गायन नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय संस्कृति और परिवेश के अनुसार कई अंतरकथाओं का समावेश किया गया है। यह गाथा नौ ‘छेपों’ (सर्गों) में विभाजित होती है, जिनके नाम इस प्रकार हैं:

  • गर्मिली जागर छेप
  • तालुकी जागर छेप
  • रौबेत जागर छेप
  • भीमसेन यज्ञ जागर छेप
  • पयाल लोक जागर छेप
  • भोबन्द जागर छेप
  • बनवास जागर छेप
  • बैराट जागर छेप
  • करक्षेत्र (कुरुक्षेत्र) जागर छेप
    इन छेपों में महाभारत की मूल कथा के साथ-साथ स्थानीय लोककथाओं और नवाचारों को भी जोड़ा गया है।

नवीन कल्पनाएं और पात्र :

‘भारत गाथा’ में कई नई कथाओं और पात्रों की सृष्टि की गई है। उदाहरण के लिए: कुन्ती और गान्धारी को सगी बहनें मानने की कथा। उन्हें पर्वतीय नारियों की तरह कृषि और पशुपालन के कार्यों में संलग्न दिखाया गया है। कर्ण के पालन-पोषण को गान्धारी से जोड़ने की कल्पना। कर्ण की छटी का वर्णन, जो कुमाऊं की जातकर्म परंपराओं के अनुसार किया गया है।

पांडवों की लोक मान्यताएं :

गंगोलीहाट क्षेत्र के चहज में, यह माना जाता है कि पांडव बनवास काल के दौरान यहां आकर रहे थे। यहां ‘पांडवों के अवतरण’ को माध्यमों (डंगरियों) के माध्यम से भारतगाथा के साथ नचाया जाता है। यह नृत्य और गायन का अनूठा मिश्रण दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

भारत गान का महत्त्व और सांस्कृतिक धरोहर :

‘भारत गाथा’ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह कुमाऊं की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। यह न केवल महाभारत की कथा को जन-जन तक पहुंचाती है, बल्कि स्थानीय लोककथाओं, परंपराओं और मान्यताओं को भी संरक्षित और प्रचारित करती है।

निष्कर्ष :

भारत गाथा या भारत गान  कुमाऊं मंडल की सांस्कृतिक विविधता और परंपरागत लोकधारा का एक अद्भुत उदाहरण है। यह आयोजन न केवल महाभारत की महत्ता को उजागर करता है, बल्कि इसे स्थानीय संस्कृति और भावनाओं के साथ जोड़कर एक नई पहचान प्रदान करता है। भारत गाथा, कुमाऊं के लोकजीवन की गहराई और उसकी अद्वितीयता को समझने का एक सुंदर माध्यम है।

संदर्भ : हिमालय फोलकारे और उत्तराखंड ज्ञानकोश पुस्तक ।

इन्हे भी पढ़े :

कुमाऊनी जागर , उत्तराखंड जागर विधा के कुमाऊनी प्रारूप पर एक विस्तृत लेख।

घणेली जागर , घड़ेली जागर ,पहाड़ में गढ़देवी ,परियों और भूत प्रेत ,मसाण पूजा की एक विधा।

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

 

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments