बैजनाथ मंदिर, उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह मंदिर बागेश्वर जनपद के मल्ला कत्यूर पट्टी में स्थित है, जो गोमती नदी के संगम पर स्थित है। बैजनाथ का प्राचीन नाम वैद्यनाथ था, और यह स्थान कत्यूरि शासकों की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था।
इस स्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है। आइए जानते हैं बैजनाथ मंदिर के बारे में कुछ खास बातें जो इसे अन्य मंदिरों से अलग और विशेष बनाती हैं।
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बैजनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व –
बैजनाथ मंदिर की ऐतिहासिकता को समझने के लिए हमें इसके पृष्ठभूमि में जाना होगा। 7वीं शताब्दी के आसपास, बैजनाथ कत्यूरि शासकों द्वारा कीर्तिपुर (जोशीमठ) से नई राजधानी के रूप में विकसित किया गया था। यहाँ एक शिलालेख भी मिला है, जो 1552 में कत्यूरि और चंद शासकों द्वारा कई भव्य देवालयों के निर्माण की पुष्टि करता है।
आज भी बैजनाथ मंदिर के आस-पास 18 मंदिरों का समूह देखा जा सकता है, जिसमें प्रमुख मंदिर भगवान वैद्यनाथ (शिव) का है, जो अब खंडित अवस्था में है। इसके अलावा, यहाँ अन्य देवताओं के भी मंदिर हैं, जैसे सूर्य, विष्णु, कुबेर, और महिषासुरमर्दिनी। इन मंदिरों के अवशेष इस स्थान के ऐतिहासिक वैभव को दर्शाते हैं।
बैजनाथ मंदिर के प्रमुख आकर्षण :
बैजनाथ मंदिर न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टि से भी खास है। यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियाँ एक साथ पूजा जाती हैं, जो सामान्यत: अन्य शिव मंदिरों से इसे अलग बनाती हैं। कहते हैं नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर के बाद शिव पारवती का जोड़ा यहीं मिलेगा। अर्थात यहाँ भगवान शिव और पार्वती को एक साथ पूजा जाता है।
पार्वती की अद्भुत मूर्ति :
बैजनाथ मंदिर के परिसर में एक विशेष आकर्षण है – माता पार्वती की अष्टधातु से बनी मूर्ति, जो लगभग पाँच फीट लंबी है और अत्यंत सुंदर और सजीव प्रतीत होती है। यह मूर्ति एक विशेष मुद्रा में स्थापित है, जो भक्तों को आस्था और श्रद्धा से जोड़ती है।
इनके अलावा एक आकर्षण और है ,कहते हैं कत्यूरियों ने इस मंदिर समूह को एक रात में बनाया था।
स्कंद पुराण का उल्लेख :
स्कंद पुराण के मानसखंड में बैजनाथ का विशेष उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती की शादी यहीं हुई थी, और उनके पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी यहीं हुआ था। यह पौराणिक कथा बैजनाथ के धार्मिक महत्व को और बढ़ाती है।
महाशिवरात्रि मेला: एक अद्वितीय अनुभव
बैजनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने की आशा रखते हैं। अगर आप धार्मिक पर्यटन के शौक़ीन हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन बैजनाथ की यात्रा करना एक अद्वितीय अनुभव हो सकता है।
बैजनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
बैजनाथ मंदिर कौसानी से लगभग 18 किमी, बागेश्वर से 23 किमी और अल्मोड़ा से 71 किमी दूर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग सबसे अच्छा विकल्प है, और इस स्थल से कई प्रमुख स्थान जुड़े हुए हैं, जैसे रानीखेत, ग्वालदम, और जोशीमठ।
बैजनाथ मंदिर का रास्ता बेहद आकर्षक और प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ है, जो यात्रा को और भी सुखद बनाता है।
बैजनाथ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व –
बैजनाथ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यहाँ की प्राचीन मूर्तियाँ और मंदिरों के अवशेष उस समय के स्थापत्य कला के अद्वितीय उदाहरण हैं। बैजनाथ में समय बिताना न केवल एक धार्मिक अनुभव होता है, बल्कि यह आपको इतिहास और संस्कृति से भी जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यहाँ के मंदिरों की वास्तुकला, पौराणिक कथाएँ और सांस्कृतिक धरोहर इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं। यदि आप उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों की यात्रा पर हैं, तो बैजनाथ निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण स्थल है जिसे आपको देखना चाहिए।
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