Sunday, April 21, 2024
Homeमंदिरतीर्थ स्थलबद्रीनाथ धाम या बद्रीनारायण मंदिर । चार धामों में प्रमुख धाम।

बद्रीनाथ धाम या बद्रीनारायण मंदिर । चार धामों में प्रमुख धाम।

बद्रीनाथ धाम या बद्रीनारायण मंदिर –

बद्रीनाथ धाम या बद्रीनारायण मंदिर यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है । ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।बद्रीनाथ मंदिर , चारधाम और छोटा चारधाम तीर्थ स्थलों में से एक है। यह अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है । ये पंच-बदरी में से एक बद्री हैं। उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं ।

Hosting sale

यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है । ऋषिकेश से यह 214 किलोमीटर की दुरी पर उत्तर दिशा में स्थित है । बद्रीनाथ मंदिर मुख्य आकर्षण है । प्राचीन शैली में बना भगवान विष्णु का यह मंदिर बेहद विशाल है। इसकी ऊँचाई करीब 15 मीटर है । पौराणिक कथा के अनुसार , भगवान शंकर ने बद्रीनारायण की छवि एक काले पत्थर पर शालिग्राम के पत्थर के ऊपर अलकनंदा नदी में खोजी थी । वह मूल रूप से तप्त कुंड हॉट स्प्रिंग्स के पास एक गुफा में बना हुआ था।

यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप ।बद्रीनाथ जी के मंदिर के अन्दर 15 मुर्तिया स्थापित है । साथ ही साथ मंदिर के अन्दर भगवान विष्णु की एक मीटर ऊँची काले पत्थर की प्रतिमा है । इस मंदिर को “धरती का वैकुण्ठ”भी कहा जाता है ।

बद्रीनाथ धाम में वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। लोककथा के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना पौराणिक कथा के अनुसार यह स्थान भगवान शिव भूमि( केदार भूमि ) के रूप में व्यवस्थित था ।

Best Taxi Services in haldwani

भगवान विष्णु अपने ध्यानयोग के लिए एक स्थान खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा के पास शिवभूमि का स्थान बहुत भा गयाा। उन्होंने वर्तमान चरणपादुका स्थल पर (नीलकंठ पर्वत के पास) ऋषि गंगा और अलकनंदा नदी के संगम के पास बालक रूप धारण किया और रोने लगे ।

उनके रोने की आवाज़ सुनकर माता पार्वती और शिवजी उस बालक के पास आये ,और उस बालक से पूछा कि तुम्हे क्या चाहिए । तो बालक ने ध्यानयोग करने के लिए शिवभूमि (केदार भूमि) का स्थान मांग लिया, इस तरह से रूप बदल कर भगवान विष्णु ने शिव पार्वती से शिवभूमि (केदार भूमि) को अपने ध्यानयोग करने हेतु प्राप्त कर लिया ।यही पवित्र स्थान आज बद्रीविशाल के नाम से भी जाना जाता है ।

बद्रीनाथ धाम की मान्यताये –

  1. बद्रीनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यताओ  के अनुसार , जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हो रही थी , तो गंगा नदी 12 धाराओ में बट गयी । इस लिए इस जगह पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से प्रसिद्ध हुई । और इस जगह को भगवान विष्णु ने अपना निवास स्थान बनाया और यह स्थान बाद में “बद्रीनाथ” कहलाया ।
  2. मान्यता यह भी है कि प्राचीन काल मे यह स्थान बेरो के पेड़ो से भरा हुआ करता था। इसलिए इस जगह का नाम बद्री वन पड़ गया ।
  3. और यह भी कहा जाता है की इसी गुफा में ” वेदव्यास “ ने महाभारत लिखी थी और पांडवो के स्वर्ग जाने से पहले यह जगह उनका अंतिम पड़ाव था। जहाँ वे रुके थे ।
  4.  बद्रीनाथ मंदिर के बारे में एक मुख्य कहावत है । ” जो जाऐ बद्री , वो ना आये ओदरी “ अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है , उसे माता के गर्भ में नहीं आना पड़ता है ।मतलब दर्शन करने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है । बद्रीनाथ मंदिर की मान्यता  यह है कि भगवान बद्रीनाथ के दर पर सभी श्रद्धालु की मनचाही इच्छा पूरी होती है ।
  5. बद्रीनाथ धाम की मान्यता यह है कि बद्रीनाथ में भगवान शिव जी को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली थी ।
    इस घटना की याद “ब्रह्मकपाल” नाम  से जाना जाता है।ब्रह्मकपाल एक ऊँची शिला है । जहाँ पितरो का तर्पण,श्राद्ध किया जाता है।माना जाता है कि यहाँ श्राद्ध करने से पितरो को मुक्ति मिल जाती है ।
  6. इस जगह के बारे में यह भी कहते है कि इस जगह पर भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी ।नर अगले जन्म में अर्जुन और नारायण श्री कृष्ण के रूप में जन्मे थे

बद्रीनाथ के अन्य धार्मिक स्थल –

  • अलकनंदा के तट पर स्थित अद्भुत गर्म झरना जिसे ‘तप्त कुंड’ कहा जाता है।
  • एक समतल चबूतरा जिसे ‘ब्रह्म कपाल’ कहा जाता है।
  • पौराणिक कथाओं में उल्लेखित एक ‘सांप’ शिला है।
  • शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड ‘शेषनेत्र’ है।
  • चरणपादुका -भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं।
  • बद्रीनाथ से नजर आने वाला बर्फ़ से ढका ऊंचा शिखर नीलकंठ, जो ‘गढ़वाल क्वीन’ के नाम से जाना जाता है |

बद्रीनाथ धाम कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से –

बद्रीनाथ से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो ऋषिकेश से सिर्फ 26 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डे से, यात्रियों को बद्रीनाथ पहुंचने के लिए टैक्सी या बस सेवा लेनी होगी।

ट्रेन द्वारा –

बद्रीनाथ धाम से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (297 किलोमीटर), हरिद्वार (324 किलोमीटर) और कोटद्वार (327 किलोमीटर) हैं। यहाँ से कैब के द्वारा या फिर बस द्वारा ही बद्रीनाथ धाम पंहुचा जा सकता है।

ऋषिकेश फास्ट ट्रेनों से नहीं जुड़ा है और कोटद्वार में ट्रेनों की संख्या बहुत कम है। इस प्रकार यदि आप ट्रेन से बद्रीनाथ जा रहे हैं तो हरिद्वार सबसे अच्छे रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य करता है। हरिद्वार भारत के सभी भागों से कई ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से-

सड़क मार्ग से बद्रीनाथ धाम आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दिल्ली से 525 किलोमीटर और ऋषिकेश से 296 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, हरिद्वार और ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिए नियमित अन्तराल पर बसें उपलब्ध रहती हैं। ऋषिकेश बस स्टेशन से बद्रीनाथ के लिए नियमित अन्तराल पर बसें चलती हैं। और सुबह होने से पहले ही बस सेवाएं शुरू हो जाती हैं।

जोशीमठ के बाद सड़क संकीर्ण है और सूर्यास्त के बाद सड़क मार्ग पर यात्रा करने की अनुमति नहीं होती है। इसलिए यदि कोई ऋषिकेश बस स्टेशन पर बद्रीनाथ के लिए बस लेने से चूक जाता है, तो उसे रुद्रप्रयाग, चमोली या जोशीमठ तक की बस लेनी पड़ेगी और यहाँ से बद्रीनाथ तक बस या कैब के द्वारा सफ़र करना पड़ेगा ।

बद्रीनाथ धाम के लिए सड़क मार्ग की उपलब्धता –

बद्रीनाथ धाम हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कोटद्वार, जोशीमठ और गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र के अन्य हिल स्टेशनों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर अनेक बस सेवाएं उपलब्ध रहती है ।

प्रमुख स्थलों से बद्रीनाथ धाम पहुचने के लिए दूरी –

  • ऋषिकेश से बद्रीनाथ 301 किमी
  • गौरीकुंड (केदारनाथ के समीप)बद्रीनाथ 233 किमी
  • कोटद्वार-बद्रीनाथ 327 किमी
  • दिल्ली-बद्रीनाथ 525 किमी
  • औली-बद्रीनाथ 34 किमी
  • फूलो की घाटी-बद्रीनाथ 70 किमी
  • कसौनी-बद्रीनाथ 201 किमी
  • अल्मोड़ा से बद्रीनाथ 243 किमी

इन्हे भी पढ़े _

रानीखेत के कुवाली गांव में स्वयं विराजते भगवान बद्रीनाथ

हमारे फ़ेसबुक पेज देवभूमि दर्शन से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Pramod Bhakuni
Pramod Bhakunihttps://devbhoomidarshan.in
इस साइट के लेखक प्रमोद भाकुनी उत्तराखंड के निवासी है । इनको आसपास हो रही घटनाओ के बारे में और नवीनतम जानकारी को आप तक पहुंचना पसंद हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments