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बाबा नीम करौली से मिलने आये मंत्री और बाबा के आशीर्वाद से बने भारत के पांचवे प्रधानमंत्री।

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीम करौली का प्रसिद्ध धाम कैंची धाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज डिजिटल क्रांति की बदौलत बाबा की दिव्य चमत्कारों या उनके आशीर्वादों की कहानियाँ घर -घर पहुंच गई हैं।  बाबा के अनुयायियों की फेरिहस्त में आम आदमी से लेकर बड़े बड़े लोग हैं। उनके भक्त भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैले हैं।

कैंची धाम स्थापना दिवस पर होता है विशाल भंडारा –

प्रतिवर्ष 14 और 15 जून को कैंचीधाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। कैंची धाम के स्थापना दिवस के अवसर पर यहाँ मेला और भंडारे का आयोजन होता है। इस शुभावसर पर बाबा नीम करौली के भक्त दूर -दूर से प्रसाद व् बाबा का आशीर्वाद लेने कैंचीधाम पहुंचते हैं। मान्यता है कि स्थापना दिवस के दिन चाहे कितनी भी भीड़ हो लेकिन भंडारे में अन्न की कमी नहीं होती है। कहते हैं इस स्वयं बाबा नीम करौली भंडारे की देख -रेख करते हैं।

बाबा को हिमालयी घाटियों से विशेष स्नेह था। कहते हैं वे हनुमान जी के परम भक्त थे। उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। कहते हैं बाबा कैंची में पहली बार 1942 को आये थे। वहां उनकी मुलाकात पूर्णानंद जी के साथ हुई। बीस साल बाद फिर आने के वादे के साथ बाबा लौट आये। लेकिन बीस साल बाद यानि 1962 को फिर कैंची।धाम आये। और उन्होंने 15 जून 1965 को दिव्य आश्रम कैंचीधाम की स्थापना की। तब पहली बार वहां भंडारे का आयोजन किया था।

बाबा नीम करौली

जब बाबा नीम करौली से मिलने आये  मंत्री और बाबा के आशीर्वाद से बने प्रधानमंत्री-

कैंची धाम स्थापना से जुडी एक दिलचस्प वाकया भी बताया जाता है। कहते हैं बाबा ने यहाँ परम धाम बनाने का संकल्प लिया था। कैंची धाम के निर्माण में जो भी अड़चने आयी  उसे बाबा अपनी चमत्कारी लीलाओं से दूर करते गए। कहते हैं एक बार कैंची धाम के निर्माण में जमीन का पेंच फंस गया।

जिस जमीन पर बाबा परम धाम की स्थापना करना चाहते थे ,वो जमीन वन विभाग की थी। और वन विभाग अपनी जमीन आश्रम निर्माण के लिए देने के लिए राजी नहीं था।  तब बाबा नीम करौली ने अनोखी लीला रची। कुछ दिनों में उत्तरप्रदेश के तत्कालीन वन मंत्री चौधरी चरण सिंह बाबा से मिलने स्वयं कैंची आये और उन्होंने आश्रम के लिए जमीन मात्र एक रूपये की रजिस्ट्री पर उपलब्ध कराई।

कहते हैं तब बाबा नीम करोली ने चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया और आगे जाकर चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवे प्रधानमंत्री बने। इस प्रकार बाबा नीम करौली के आशीर्वाद से चौधरी चरण सिंह वन मंत्री से देश के प्रधानमंत्री बने। बाबा ने उन्हें व्यवहार में थोड़ा नरमी लाने का सुझाव भी दिया था।

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