प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 16 फरवरी से धरना प्रदर्शन कर रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाएं मानदेय वृद्धि, नियमितीकरण, पुरानी पेंशन योजना लागू करने और अन्य मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें जल्द ही पूरी नहीं की गईं तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगी। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और उन्हें न्याय दे।
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगें:
- मानदेय 18 हज़ार रुपये प्रतिमाह किया जाए।
- वरिष्ठता के आधार पर 15 साल पूरा होने पर सबका मानदेय बढ़ाया जाए।
- सेवानिवृत्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 2 लाख रुपये दिए जाएं।
- सरकारी कर्मचारियों की तरह गोल्डन कार्ड बनाया जाए।
- मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों का उच्चीकरण किया जाए।
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए।
इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही एक समाधान निकाला जाएगा।
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के धरना प्रदर्शन का राज्य के बच्चों पर प्रभाव पड़ा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाली सुविधाएं बाधित हैं। सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आंदोलन वापस लेने की अपील की है ताकि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव न पड़े।
यह देखना बाकी है कि उत्तराखंड सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाती है और कब तक इस गतिरोध का समाधान निकलता है।