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उत्तराखंड में UCC: शादी / विवाह के नियमों में क्या हुआ बदलाव?

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उत्तराखंड में UCC: शादी / विवाह के नियमों में क्या हुआ बदलाव?

क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया है? उत्तराखंड में UCC के तहत शादी के नियमों में बदलाव किए गए हैं। 10 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा ने UCC (Uniform Civil Code) विधेयक को पारित किया, जिसके तहत अब सभी धर्मों के नागरिकों के लिए शादी, तलाक, और विरासत के मामलों में समान कानून लागू होंगे।

UCC (Uniform Civil Code) के तहत शादी / विवाह के नियमों में हुए बदलावों पर एक नज़र:

न्यूनतम विवाह योग्य आयु:

  1. पुरुषों के लिए: 21 वर्ष
  2. महिलाओं के लिए: 18 वर्ष

बहुविवाह:

UCC बहुविवाह को प्रतिबंधित करता है। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति एक साथ एक से अधिक शादी नहीं कर सकता है। बहुविवाह करने पर 5 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

प्रतिबंधित संबंध:

  • रक्त संबंध, सपिंडा संबंध, और सगोत्र संबंध में शादी निषिद्ध होगी।
  • चचेरे भाई-बहन, मौसी-भांजा, और मामा-भांजी के बीच शादी नहीं हो सकेगी।
  • लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी।

विवाह का पंजीकरण:

सभी विवाहों का पंजीकरण 30 दिनों के अंदर अनिवार्य है। पंजीकरण के लिए विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

आवश्यक दस्तावेज:

  1. आयु प्रमाण
  2. पहचान प्रमाण
  3. निवास प्रमाण
  4. दो गवाहों के शपथ पत्र

विवाह 30 दिनों के अंदर पंजीकृत नहीं कराने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

इसे भी पढ़े : समान नागरिक संहिता – UCC (Uniform Civil Code) : एक परिचय

विवाह की प्रक्रिया:

धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ या बिना रीति-रिवाजों के शादी की जा सकती है। विवाह का पंजीकरण करवाने के लिए विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा

तलाक:

  1. UCC (Uniform Civil Code) के तहत तलाक के लिए न्यायालय में याचिका दायर करनी होगी।
  2. तलाक की याचिका दायर करने से पहले एक साल का ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड अनिवार्य होगा।
  3. ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड के दौरान पति-पत्नी सुलह के लिए प्रयास कर सकते हैं।
  4. तलाक के बाद पति को पत्नी को उचित गुजारा भत्ता देना होगा।
  5. गुजारा भत्ते की राशि पत्नी की आय, पति की आय, और जीवन स्तर के आधार पर तय की जाएगी।
  6. तलाक के बाद बच्चों की देखभाल का फैसला न्यायालय करेगा।
  7. न्यायालय बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाएगा।

विरासत:

  • सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान कानून।
  • संपत्ति का बंटवारा पति, पत्नी, और बच्चों के बीच समान रूप से।

UCC का क्रियान्वयन एक महत्वपूर्ण कदम है जो लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा। यह कानून सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान अधिकार और अवसर प्रदान करेगा।

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