आजकल उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक अलग ही चर्चा जोरो पर है। चर्चा यह है कि पहाड़ में लड़को को शादी के लिए लड़किया नहीं मिल रही है। और लड़को की बिना शादी के उम्र जा रही है। इसका कारण है पहाड़ की लड़कियों और उनके माता -पिता की अनोखी शर्तें। प्राप्त जानकारी के अनुसार आजकल पहाड़ के माता पिता उसी लड़के से अपनी बेटी का विवाह करने को राजी हैं जिसकी सरकारी नौकरी हो या फिर हल्द्वानी /देहरादून जैसे मैदानी एरिया में प्लाट या मकान हो। अचानक समाज में फैली इस कुप्रथा के खिलाप कई लेखक ,समाचार पत्र और सोशल एक्टविस्ट मुखर हैं। इसी क्रम में हमारे टीम मेंबर और सहसंस्थापक बिक्रम सिंह भंडारी जी का पहाड़ के माता -पिता के नाम लिखा एक डिजिटल पत्र सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है। उस पत्र की एक प्रति यहाँ भी संकलित कर रहे हैं।
मेरे उत्तराखंड के प्रिय अभिवावकों,
आजकल चर्चा जोरों पर है कि, आप अपनी सुपुत्री के लिए सरकारी नौकर और हल्द्वानी / देहरादून में प्लाट या मकान वाला लड़के की डिमांड कर रहे हो बल । आप अपनी जगह बिल्कुल ठीक हो , अपनी लड़की को सबसे अच्छी सुविधाओं वाला जीवन साथी ढूंढ कर देना आपका कर्तव्य है। आखिर आप अपनी नाजो से पाली-पोसी गुड़िया को उसे सौंप रहे हो ।
अब दिक्कत कहाँ हो रही, सबको सरकारी नौकरी नही मिल रही है। क्योंकि सरकार खुद बोल रही है कि इतनी सरकारी नौकरी नहीं है कि सबको मिल सके ! बाकी लोग अपना स्वरोजगार भी करें। और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए तरह -तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
अब मुसीबत ये है अगर लड़का गांव में कुछ चाय की दुकान या कोई और स्वरोजगार भी करता है तो उसे ताना मिलता है, “ दा…क्या कर रहा है वो ! दो गिलास टोटिल किये हैं घरपन ! “
कई लड़को ने सरकारी नौकरी प्राप्त कर बाहर मकान भी बना लिया है। लेकिन सब ये शर्त पूरी नही कर सकते । तो क्या वे एक सम्मानित जीवन नही जी सकते ? भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 भी अपने हर नागरिक को मानवीय प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार देता है । प्रिय अभिवावकों आपकी इस भेड़ -चाल ने समाज मे अजीब सा कोमोउ जैसा लगा दिया है। जहाँ शादी के इंतजार में लड़कों की शादी की उम्र जा रही है । वहीं सरकारी नौकरी और प्लाट वाले लड़के के इंतजार में लड़कियों की उम्र भी जा रही है।
अंत मे मैं बस ये कहना चाहता हूं कि , यदि आप अपनी लड़की सरकारी नौकरी वाले लड़के की जगह अच्छी आदत वाला मेहनती लड़का ढूंढो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। और पहाड़ के साथ हल्द्वानी /देहरादून में जमीन और रोजगार तो हर पहाड़ी को चाहिए ….!
इसके लिए मिलकर सरकार से भू_कानून , मूलनिवास1950 और स्वरोजगार की लड़ाई लड़ते हैं ना ! कौस ?
उपरोक्त खुले पत्र में जो भी गलती हुई हो तो माफ करना।
आपका प्रिय ..
बिक्रम_सिंह_भंडारी
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