ओण दिवस – 1990 दशक के बाद उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार आग लगने की घटनाएं लगातार बड़ी हैं। प्रतिवर्ष गर्मियों के सीजन में आग की घटनाओं से पहाड़ो के जलस्रोतों, जैवविविधता और पारिस्थितिक तंत्र को अपूर्णीय हानी होती है। प्रतिवर्ष सैकड़ो हैक्टेयर जंगल जल कर खाक हो जाते हैं।
जंगली वन्यजीवों को काफी नुकसान होता है। पूरा पारिस्थितिक तंत्र ही खराब हो जाता है। नदियां पानी की कमी से साल दर साल सूख रही हैं। कभी -कभी पहाड़ों के जंगलों की आग मानवीय बस्तियों की तरफ आ जाती हैं ,जिससे कई बार मानव जीवन भी खतरे में पद जाता है।
प्रतिवर्ष उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली इस आग के बचाव के लिए ,आग लगने वाले कारको पर विचार करके उन्हें रोकने या कम करने की कोशिश की जाती है। पहाड़ो के जंगलों में आग लगने के अनेक कारणों में से एक कारण है ओण या आयुण ,आड़ा ,आड़।
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ओण क्या है ? और कैसे पहाड़ों की आग का जिम्मेदार है –
वर्षा ऋतू के बाद या दौरान प्रकृति में झाड़ियों और खरपतवार की संख्या बढ़ जाती है या यूँ कह सकते हैं कि झाड़ियों का आकार बढ़ जाता है और नई झाड़ियां उग जाती हैं। और बसंत के दौरान उनकी निरंतर वृद्धि होती है। जो फसली क्षेत्र या रास्तों को अवरुद्ध करने लगती है। जिसे खरीप की फसल की बुवाई से पहले लोग काट कर सुखाकर जला देते हैं। इसी प्रक्रिया को ओण जलाना कहते हैं।
चूकि खरीप की बुवाई अप्रैल मई में होती है और इसी दौरान आग की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। कई बार पहाड़ो की आग के लिए ये ओण प्रक्रिया भी जिम्मेदार होती है। पहाड़ों में खेत और जंगली क्षेत्र लगभग साथ -साथ होते हैं। कई बार महिलाएं बहुत सारे ओण एक साथ डाल देती हैं और सब उनसे एक साथ मैनेज नहीं होते हैं और आग फ़ैल जाती है। और कई बार एक ही ओण डालने पर भी लापरवाही में उसे ख़त्म समझ कर चली जाती हैं ,लेकिन बाद में हवा और अंधड़ के साथ आग फिर से सुलग कर फ़ैल जाती है।
ओण दिवस क्यों –
पहाड़ के जंगलों में लगने वाली आग के अनेक जिम्मेदार कारकों में ओण प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण कारक है। चूकि यह पहाड़ों की खेतीबाड़ी से जुडी जरुरी प्रक्रिया होती है इसे बंद नहीं कर सकते हैं। इसलिए प्रतिवर्ष पहाड़ों में 1st अप्रैल को ओण दिवस मनाकर ,पहाड़ के लोगो में ओण जलाने की प्रक्रिया को समयबद्ध और व्यवस्थित करने के लिए जागरूक किया जाता है।
ओण दिवस गर्मियों पहाड़ो में लगने वाली आग के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए भी मनाया जाता है। सबसे पहले अल्मोड़ा जिले में 1st अप्रैल 2022 को ओण दिवस मनाया गया था। धीरे धीरे अब यह लगभग पुरे प्रदेश पहाड़ी क्षेत्रों में मनाया जाने लगा है।
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