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कंडोलिया पार्क पौड़ी गढ़वाल की नई पहचान।

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कंडोलिया पार्क  पौड़ी गढ़वाल की नई पहचान। जी हा गुरुवार 28 जनवरी को मुख्मंत्री जी के कर कमलों द्वारा, यह थीम पार्क पौड़ी की जनता को समर्पित कर दिया गया।

कंडोलिया पार्क के बारे में –

यह उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है। पौड़ी गढ़वाल के कमद नामक स्थान पर देवदार के घने पेड़ों के बीच बसा है।यह  पार्क भारत का सबसे ऊंचा पार्क है। यह भारत का पहला थीम पार्क है। ये  1750 मीटर के हाई अल्टिट्यूड पर बना है।

कंडोलिया पार्क
कंडोलिया पार्क, फोटो साभार गूगल

पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी 2019 मे कंडोलिया पार्क को नया रूप देने की योजना बनाई ,इस थीम पार्क को बनाने में पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी महोदय का महत्वूर्ण योगदान है।28 जनवरी 2021 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसका उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री महोदय ने उत्तघाटन अवसर पर बताया कि, आज तक हमारा राज्य धार्मिक टूरिज्म पर केंद्रित था। अब राज्य को एडवेंचर टूरिज्म की तरफ बड़ा रहे हैं।

विंटर टूरिज्म को राज्य में बड़ावा दिया जाएगा। आने वाले समय में एडवेंचर टूरिज्म पर और ध्यान दिया जाएगा। आने वाले समय में सतपुली में सतपुली झील में भी टिहरी झील की तर्ज पर सी-प्लेन की योजना है।मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि पौड़ी गढ़वाल के टूरिज्म को नए पंख लगाएगा।

Kandoliya park, photo credit-Google

कंडोलिया पार्क की विशेषताएं-

  • इस पार्क की सबसे बड़ी विशेषता लेजर लाइट सिस्टम तथा म्यूजिकल फाउंटेन सिस्टम है।
  • लेजर लाइट मे कंडोलिया पार्क की छटा देखते ही बनती है।
  • यह पार्क भारत का सबसे ऊंचा पार्क है।
  • यह पार्क भारत का पहला थीम पार्क है।
  • इसमें हर  उम्र वर्ग के लिए अलग अलग व्यवस्था है।
  • पार्क उत्तरकाशी के कोटि बनाल शैली पर आधारित है।
  • यहां पर्यटकों के लिए स्विस काटेज बने हैं।
  • थीम  पार्क में स्थानीय मनोरंजन की व्यवस्था भी है।
  • यहां जिम, स्केटिंग एवं रिंग की व्यवस्था भी है।
  • इस पार्क में स्थानीय पहाड़ी संस्कृति को जीवंत रूप देने का पवित्र प्रयास किया गया है।
कंडोलिया पार्क , लेजर शो।
Image credit-Google

यहां भी देखे…….कोटि बनाल शैली , उत्तराखण्ड की विशेष वस्तु शैली।

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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