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चार धाम यात्रा का सम्पूर्ण इतिहास | Full history of 4 dham yatra

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चार धाम यात्रा

चार धाम यात्रा का सनातन धर्म में बहुत बड़ा महत्त्व है। चार धामों की यात्रा के बारे में कहा गया है कि ,जो व्यक्ति अपने जीवन में चार धामों की यात्रा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रत्येक सनातनी को अपने जीवन में इन चार धामों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

यहाँ भारत के चार धामों के बारे में बात हो रही है जिनका नाम , बद्रीनाथ ,द्वारिका ,जगन्नाथ पूरी और रामेश्वरम है। इसी प्रकार उत्तराखंड में भी चार धाम हैं ,जिनकी यात्रा को छोटी चार धाम यात्रा कही जाती है। ये एक ही दिशा और एक ही क्षेत्र में हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित केदारनाथ ,बद्रीनाथ ,गंगोत्री ,यमुनोत्री छोटे चार धाम स्थित है।

चार धाम यात्रा का इतिहास –

आदि शंकराचार्य  को सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का श्रेय जाता है। आदि शंकराचार्य जी ने सम्पूर्ण भारत की यात्रा करके भारत के चारों दिशाओं में चार प्रमुख पीठों स्थापना की थी।  जिन्हे आज भारत के चार धाम के नाम से जानते हैं।  शंकराचार्य जी ने बद्रीनाथ ,द्वारिका धाम ,जगन्नाथ पूरी और रामश्वेरम की स्थापना की थी। और चार धाम यात्रा की परम्परा को शुरू किया।

कहते हैं भारत में सनातन धर्म की एकता और अखंडता अक्षुण रखने के उद्देश्य से आदि गुरु शकराचार्य ने देश के चार बड़े मंदिरों को चार धाम के रूप में विकसित किया। इनमे पुजारी भी एकदम बिपरीत क्षेत्र के स्थापित किये। जैसे -बद्रीनाथ धाम में दक्षिण के रावल पूजा करते हैं। और रामेश्वरम में उत्तर के पंडित पूजा करते हैं। और जगन्नाथ पूरी में पक्षिम के पुजारी रखे और द्वारिका में पूर्व के पुजारी रखे।

इसमें आदि शंकराचार्य जी का एक ही उद्देश्य था ,पुरे देश को आधयात्मिक और सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधना और सनातन धर्म को मजबूत करना। कहते हैं ये चारों धाम एक दूसरे के सीधे सीध में पड़ते हैं।

इसे भी जाने:- देवभूमि उत्तराखंड के चार धाम

चार धाम और चार धाम यात्रा का संक्षिप्त परिचय –

भारत के चार कोनों पर स्थित चार धाम आदिकाल के प्रसिद्ध मंदिर या ऐसे धार्मिक केंद्र हैं जिनका भगवान से सीधा नाता है। बद्रीनाथ नर नारायण पर्वतों के बीच में अलकनंदा नदी के किनारे बसा यह तीर्थ भगवान् विष्णु को समर्पित धाम है। यह सनातन धर्म के चार धामों में से एक है।

बद्रीनाथ भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर नारायण को समर्पित धाम है। बद्रीनाथ को मोक्षद्वार भी कहते हैं। बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि , जो बद्रीनाथ आता है उसे जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। चार धाम यात्रा में पहली यात्रा बद्रीनाथ धाम की की जाती है।

बद्रीनाथ के बाद द्वारिका धाम का नंबर आता है। द्वारिका धाम भगवान कृष्ण को समर्पित धाम है। द्वारिका द्वापर युग में भगवान् कृष्ण के राज्य का नाम था। द्वारिका धाम गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के तट पर बसा हुआ है। वर्तमान में मूल द्वारिका समुद्र के अंदर है।

इसके बाद चार धाम यात्रा में आती है  जगन्नाथ पूरी धाम। जगतनाथ पूरी भगवान् कृष्ण को समर्पित धाम है। यह उड़ीसा के तटवर्ती शहर पूरी में स्थित यह धाम में भगवान् कृष्ण की जगन्नाथ और भाई बलभद्र और बहिन सुभद्रा की पूजा होती है। यहाँ वर्ष में एक बार जगन्नाथ रथ यात्रा भी आयोजित की जाती है।

भारत के चार धामों में प्रसिद्ध धाम रामश्वेरम धाम है। इसकी स्थापना भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से भगवान् शिव की पूजा करने के लिए किया था। इसका नाम रामेश्वर भी उन्होंने ने ही रखा था।

रामेश्वर का अर्थ है राम के ईश्वर। रामेश्वर हिन्दू धर्म के अनुयायियों के पवित्र धामों में से एक है। यह भारत के राज्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। कहते हैं इस मंदिर में पवित्र गंगाजल से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यहाँ के पवित्र जल से स्नान करने के बाद असाध्य रोग भी दूर होते हैं।

यहां भी देखे…….

बद्रीनाथ धाम या बद्रीनारायण मंदिर । चार धामों में प्रमुख धाम।

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