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विभूति की निकिता , उत्तराखंड की सच्ची प्रेम कहानी | Real Love Story of Uttrakhand

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विभूति की निकिता –

जहाँ पति के गुजर जाने के बाद या शहीद होने के बाद टूट जाती है या दूसरी शादी कर लेती है। वही आज हम आपको उत्तराखंड की ऐसी वीरांगना की कहानी बताने जा रहे हैं , जिसने पति के शहीद होने के बाद, अपने परिवार को भी सम्हाला और जुट गई अपने पति की अंतिम इच्छा की पूर्ति में। और संकल्प शक्ति सुसज्जित वीरांगना ने ये कर के दिखाया। आइये आपको बताते हैं, विभूति की निकिता की सच्ची प्रेम कहानी।

18 फरवरी 2019 का दिन था। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी निकिता ढौंडियाल देहरादून से दिल्ली के लिए ट्रेन से रवाना हुईं। वह दिल्ली में ही एक MNC में नौकरी करती थीं ।और हर शनिवार रविवार में अक्सर देहरादून अपने ससुराल आती रहती थीं। ट्रेन मुजफ्फरनगर ही पहुंची थी कि आर्मी हेडक्वार्टर से उन्हें फोन आया। फोन सुनकर मानों उनके होश ही उड़ गए।

पति के पुलवामा में शहीद होने की सूचना मिलते ही उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया।मगर हिम्मत देखो वीरांगना की , आधा रास्ता छोड़ वह तुरंत ही देहरादून लौट आईं। डंगवाल रोड के रहने वाले मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल पुलवामा में रविवार रात हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए। घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। 

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निकिता कौल ढौंडियाल जो मेजर की पत्नी थी इस बात का विश्वास नही हुआ कि जिस व्यक्ति से उसकी अभी 9 महीने पहले ही शादी हुई हो वो उसे अचानक यूँ कैसे छोड़ के चला गया , जैसे तैसे निकिता खुद के साथ साथ अपने परिवार को भी सम्हाला ।

अगले दिन मेजर का पार्थिव शरीर उनके निवास पर लाया जाता है जहाँ निकिता और मेजर का पूरा परिवार उन्हें अंतिम बार देखते है , निकिता ने अपने पति को अंतिम विदाई देते समय कहा था.” आपने मुझसे झूठ कहा था कि आप मुझसे प्‍यार करते हो।

आप मुझसे नहीं बल्कि अपने देश से ज्‍यादा प्‍यार करते थे और मुझे इस बात पर हमेशा गर्व रहेगा ” और इतने हिम्मत और जोश से जय हिंद बोल कर अपने प्रेम को विदाई दी, कि सब उनको और उनकी हिम्मत को देखते रह गए। अमूमन पति के देहांत की खबर से ही पत्नी अपने होश खो देती है। मगर निकिता ने ,अपने आप को मजबूत करते हुए, अपने पति को सम्मान पूर्ण अंतिम विदाई दी, और अपने परिवार को भी सम्हाला। 

विभूति की निकिता

 

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मेजर विभूति शंकर का सपना था की उनकी पत्नी भी उन्ही की तरह आर्मी जॉइन कर देश की सेवा करे । इसलिए मेजर के जाने के बाद निकिता को बार बार उनकी यही बात याद आती थी। इसलिए निकिता ने एक दिन आर्मी जॉइन करने की ठान ली । निकिता ने अपनी MNC की जॉब छोड़ कर SSC की परीक्षा की तैयारी की , एक साल बाद जून 2020 में निकिता ने परीक्षा पास  कर ली लेकिन अभी एक इम्तिहान और बाकी था । और वो था एक साल की कठिन ट्रेनिंग। जब यह ट्रेनिंग शुरू हुई तो इस दौरान कई बार कठिन चुनोतियाँ आई जिसका निकिता ने डट कर सामना किया। 

निकिता कौल धौंडियाल
फ़ोटो साभार – सोशल मीडिया

आखिर शनिवार 29 मई 2021 को वो दिन आ ही गया जब निकिता कौल ढौंडियाल ने लेफ्टिनेंट निकिता कौल ढौंडियाल बन कर भारतीय सेना को जॉइन कर लिया ।  एक पत्नी ने अपने स्वर्गीय पति के अधूरे सपने को पूरा कर अब तक का सबसे बेहतर श्रधांजली दी है । मेजर विभूति शंकर की आत्मा को शांति मिल गयी और इंडियन आर्मी को एक बेहतरीन ऑफिसर।

ये है, असली प्रेम कहानी , जहॉ पति के गुजर जाने के बाद ,पत्नी ने परिवार को भी सम्हाला और पूरे दिलों जान से अपने पति की अंतिम इच्छा और उसके सपने को पूरा करने के लिए जुट गई।

और अपने स्वर्गीय पति का सपने को पूरा करके दिखाया । टीम देवभूमि दर्शन की तरफ से शत शत नमन विभूति की निकिता को। 

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बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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