वात्सल्य योजना – उत्तराखंड में कोरोना महामारी ने विकराल रूप धारण किया है। इस महामारी में कई लोग अपनी जान गवा चुके हैं। समाचार पत्रों की रिपोर्ट्स के अनुसार , उत्तराखंड की मृत्यु दर देश की मृत्यु दर से अधिक है। अभी कोरोना के साथ एक और बीमारी ब्लैक फंगस ने उत्तराखंड में दस्तक दे दी है । और मुख्यमंत्री जी ने आज ( 22.05.2021) को ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। इसके साथ आज मुख्यमंत्री महोदय ने एक महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारंभ किया।
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क्या है मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना –
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत जी ने आज मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की। यह योजना उन अनाथ बच्चों के लिए है,जिन्होंने कोरोना के संक्रमण के कारण अपने माता पिता को खो दिया है। उन बच्चों का और उनका संरक्षण स्वयं राज्य सरकार , अपनी योजना , मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत करेगी ।
क्या लाभ मिलेगा उत्तराखंड सरकार की इस योजना में ?
जिन बच्चो के माता पिता की मृत्यु कोविड 19 के कारण हुई है, उन्हें मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत निम्न लाभ मिलेंगे
- ऐसे अनाथ बच्चों को की आयु 21 वर्ष का होने तक उनके भरण पोषण, शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था सरकार करेगी।
- इन बच्चों को 3000 रुपये प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता दिया जाएगा।
- इन बच्चों के बड़े होने तक इनकी पैतृक संपत्ति बेचने का अधिकार किसी को नही होगा। यह जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिला अधिकारी की होगी।
- मुख्यमंत्री जी ने बताया कि जिन बच्चों के माता पिता कोरोना में गुजर गए हैं, उन्हें राज्य सरकार की सरकारी नौकरियों में 05 प्रतिशत का छैतिज आरक्षण मिलेगा।
उत्तराखंड सरकार की महत्वपूर्ण योजना , मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, की घोषणा शनिवार 22 मई 2021 को की गई। और यह योजना 4 घंटे बाद ही अस्तित्व में आ गई।
आज 2.08.2021 को मा० मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी एवं महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्य संग कोविड-19 व अन्य बीमारियों के कारण माता/पिता/संरक्षक की मृत्यु से प्रभावित बच्चों के कल्याण हेतु सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, “मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना” का शुभारंभ किया।
इस योजना के तहत ऐसे अनाथ बच्चों की आयु 21 वर्ष होने तक उनके भरण पोषण, शिक्षा एवं रोजगार के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।
निवेदन –
उत्तराखंड सरकार की योजना का संदर्भ पत्र पत्रिकाओं ,उत्तराखंड समाचार पत्रों से लिया गया है। अपनी राय देने के लिए , या अधिक जानकारी के लिए, हमारे फ़ेसबुक पेज देवभूमि दर्शन से अवश्य जुड़े, इस पेज को लाइक एवं फॉलो करें।
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