उत्तराखंड के फुटबॉल में पुराने अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सन 2011 में फुटबॉल को उत्तराखंड का राज्य खेल घोषित किया। उत्तराखंड में फुटबाल अंग्रेजों के समय से खेला जा रहा है। सन 1937 में देहरादून डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स एसोसिएशन (Dehradun District Sports Association) DDSA का गठन हुआ था। सन् 1950 में देहरादून स्थित 48वीं गोरखा बटालियन ने फाइनल में रांसी स्टेडियम, पौड़ी कोलकाता के प्रसिद्ध क्लब ईस्ट बंगाल से सामना किया, और गोरखा बटालियन को हार मिली। सन 1953 में देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी ने दिल्ली में आयोजित डूरंड कप फाइनल में मोहन बागान क्लब के साथ खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया।
उसके बाद 1958 में डूरंड कप के फाइनल में पहुंचने वाली देहरादून की गोरखा ब्रिगेड मद्रास रेजीमेंट के साथ खेलते हुए दूसरे स्थान पर रही। सन 1966 में गोरखा ब्रिगेड ने सिख रेजीमेंट को 2-0 से हरा कर डूरंड कप में विजय प्राप्त की। इसी टीम ने सन 1969 में सीमा सुरक्षा बल को हराकर दूसरी बार डूरंड कप का फाइनल जीता। सन 1960 में जूनियर सुब्रतो कप शुरू हुआ और तब से 1972 तक स्कूल स्तर की इस राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में देहरादून की विभिन्न जूनियर टीमें सात बार फाइनल में पहुँची।
गोरखा मिलिट्री स्कूल की टीम ने सन् 1964 एवं 1965 में सुब्रतो कप जीता। देहरादून की गोरखा ब्वॉयज कम्पनी ने सन् 1969, 1970 एवं 1972 में सुब्रतो कप जीता। गोरखा मिलिट्री स्कूल की टीम 1961 में सुब्रतो कप में रनर अप रही।
वर्तमान में उत्तराखंड के राज्य खेल फुटबॉल की अपने राज्य में हालत खस्ता है। इस खेल बाहर मैदान पर खिलाड़ी कम, अंदर एसोसिएशन ज्यादा खेल रही हैं। उत्तराखंड का राज्य खेल एसोसिएशनों और सरकार की खींचतान में फंस है।
इन्हे भी पढ़े: लोक विश्वास में इसे तारे का मल समझकर प्रकृति का बहुत बड़ा नुकसान देते हैं हम।
Table of Contents
उत्तराखंड के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी
उत्तराखंड के प्रमुख फुटबॉल खिलाडियों में राम बाहदुर क्षेत्री भारत के बेहतरीन मिडफ़ील्डरों में से एक है। इनके अलावा भूपेंद्र सिंह रावत एक कुशल फुटबॉल खिलाड़ी थे। उत्तराखंड के अनिरुद्ध थापा, मनीष मैथानी, रोहित दानू, साहिल पंवार, दीपेंद्र नेगी, पवन कुमार जोशी, अमर बाहदुर गुरंग आदि खिलाड़ियों ने फूटबाल में उत्तराखंड का नाम रोशन किया।